समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता दो माह में दो करोड़ पीडीए परिवारों से सम्पर्क करेंगे और उनसे सामाजिक न्याय तथा आरक्षण के बारे में चर्चा करेंगे. पार्टी द्वारा जारी एक बयान में अखिलेश के हवाले से कहा गया कि इन परिवारों के सामने आर्थिक तथा सामाजिक गैरबराबरी और इसके दुष्प्रभावों का भी खुलासा किया जाएगा.
पीडीए यादव द्वारा 'पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक' (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के लिए गढ़ा गया शब्द है, जिसका इस्तेमाल सपा आगामी लोकसभा चुनाव में प्रमुखता से कर रही है.
यादव ने कहा,‘‘ बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने पीड़ित-शोषित और वंचित समाज को सम्मान से जीने की राह दिखाई जबकि डॉ राममनोहर लोहिया ने अवसर की समानता के सिद्धांत से सामाजिक क्रांति की आधारशिला रखी. फिर भी भारत जैसी सामाजिक असमानता और भेदभाव आज भी कहीं और नहीं है. समाजवादी विचारधारा में पीडीए के माध्यम से शोषित पीड़ित वर्ग को आशा और विश्वास की नई किरण दिखाई दी है.''
उन्होंने कहा ,‘‘भाजपा राज में यथास्थितिवाद को बढ़ावा मिला है और खासकर महिलाओं, दलितों एवं अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ा है. उन्हें कदम-कदम पर अपमानित किया जाता है. इस समाज के आत्मसम्मान की लड़ाई समाजवादी पार्टी लड़ती आई है ,आगे भी लड़ेगी.''
यादव ने भाजपा सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों का बहुत उपहास करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके शासन में पूंजी घराने फल-फूल रहे है जबकि गरीब जनता की आवाज उठाना अपराध हो गया है, ऐसे में देश का विकास सभी वर्गों के समानुपातिक भागीदारी से ही संभव है.
सपा प्रमुख ने कहा कि जातीय जनगणना से यह लक्ष्य प्राप्त हो सकता है क्योंकि जब हरेक को अपनी संख्या के आधार पर हक और सम्मान मिलेगा तभी वास्तविक सामाजिक न्याय की स्थापना हो सकेगी.
उन्होंने कहा कि भाजपा मूलतः सामाजिक न्याय के विरूद्ध है, इसीलिए वह पिछड़ों, दलितों के आरक्षण को समाप्त करने की साजिश कर रही है. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह इनके वोट तो लेती है पर उन्हें अधिकार नहीं देना चाहती है.
उन्होंने कहा कि इनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए पीडीए की एकजुटता से समाजवादी पार्टी- इंडिया गठबंधन पूरी ताकत से इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को केन्द्र की सत्ता को हटाने जा रहा है.