कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में रामलला के दर्शन करने को लेकर उनकी आलोचना इस स्तर तक पहुंच गयी कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस कार्यालय में उनके साथ हुई घटना में उन्हें न्याय देने से इंकार कर दिया गया. छत्तीसगढ़ के लिए कांग्रेस की संचार और मीडिया समन्वयक खेड़ा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित अपना इस्तीफा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया.
इस्तीफे में खेड़ा ने लिखा, ‘‘हर हिंदू के लिए प्रभु श्री राम की जन्मस्थली पवित्रता के साथ बहुत मायने रखती है. रामलला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है, वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. मैंने जिस पार्टी को अपने 22 साल से ज्यादा दिए, जहां एनएसयूआई से लेकर एआईसीसी के मीडिया विभाग में पूरी ईमानदारी से काम किया, आज वहां ऐसे ही तीव्र विरोध का सामना मुझे करना पड़ा है, क्योंकि अयोध्या में राम लला के दर्शन से खुद को रोक नहीं पाई .''
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे इस पुनीत कार्य का विरोध इस स्तर तक पहुंच गया कि मेरे साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुए घटनाक्रम में मुझे न्याय देने से इंकार कर दिया गया. खेड़ा ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अपने पद से इस्तीफा दे रही हैं.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि 30 अप्रैल को रायपुर में पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा के दौरे को लेकर खेड़ा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रकेष्ठ के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला के बीच बहस हुई थी. बाद में खेड़ा का एक वीडियो भी सार्वजनिक हुआ था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ अभद्र बर्ताव किया गया.
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