कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बिहार में जनसभा की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक मंच पर आने से कतरा रहे हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री से दूरी बना ली है या फिर नीतीश एक बार फिर पलटी मारने वाले हैं?
रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की अररिया की सभा का हवाला देते हुए ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘ ‘‘भाजपा के नए-पुराने सहयोगी नीतीश कुमार आज अररिया में प्रधानमंत्री की रैली में नहीं हैं. वह 16 अप्रैल को गया और पूर्णिया में भी प्रधानमंत्री की दोनों रैलियों में नहीं थे. जब कांग्रेस और राजद के अनुरोध पर नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में बिहार के जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए, तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन पर ‘‘देश को जाति के नाम पर विभाजित करने'' का आरोप लगाया था.''
रमेश ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री अपने ही गठबंधन के बिहार के मुख्यमंत्री के साथ आने से कतरा रहे हैं, ताकि वह जाति आधारित सर्वेक्षण से ख़ुद को दूर रख सकें? क्या नीतीश कुमार वापिस पलटी मारने वाले है?'' उनके मुताबिक, बिहार के युवाओं ने लगातार मोदी सरकार की ग़लत सोच वाली अग्निपथ योजना का विरोध किया है. कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘सेना में चार साल बिताने के बाद युवा अग्निवीर कहां जाएंगे? भाजपा के अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के कारण बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी से जूझ रहे देश में युवाओं के पास क्या विकल्प हैं? क्या प्रधानमंत्री अग्निपथ के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध के बावजूद उसे लागू करके रखना चाहते हैं?''
रमेश ने कहा, ‘‘बिहार ऐसा राज्य है जो युवा बेरोज़गारी और ग्रामीण संकट से जूझ रहा है, वहां मनरेगा सैकड़ों हज़ारों परिवारों के लिए एक लाइफलाइन है. फिर भी, जब भी बिहार में भाजपा सत्ता में होती है तो यह महत्वपूर्ण योजना लड़खड़ाने लगती है.'' उन्होंने सवाल किया कि क्या ये स्थितियां इस बात का संकेत देती हैं कि 'मोदी की गारंटी' वास्तव में कैसी दिखती है?
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