राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सोमवार को सदन में जमकर ठहाके गूंजने लगे. दरअसल अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पैर में दर्द होने की वजह से वह ज्यादा देर तक खड़े नहीं हो सकते. इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने पूछा कि क्या आप बैठना चाहते हैं. इस पर खरगे ने कहा कि अगर आपकी परमिशन हो तो मैं बैठना चाहता हूं. हालांकि जब उनसे बैठकर बोलने की गुजारिश की गई तो उन्होंने बैठकर बोलने में... कहकर चुप रह गए. उनकी इस बात को जगदीप धनखड़ ने पूरा करते हुए कहा कि बैठकर बोलने में उतना जज्बा नहीं है. दोनों के इस संवाद पर राज्यसभा ठहाकों से गूंज उठी.
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क्यों हंस पड़े खरगे और धनखड़?
सदन में बैठे दूसरे सदस्यों के साथ ही खुद मल्लिकार्जुन खरगे और सभापति धनखड़ दोनों ही हंस पड़े. वहीं सभापति धनखड़ ने खरगे से कहा कि इस मामले में मैने आपकी मदद की है. आप अपना जज्बा कायम रखिए, जिस पर खरगे ने हंसते हुए कहा कि कभी-कभी आप मदद करते रहते हैं. हम भी याद करते रहेंगे. बता दें कि संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. राज्यसभा में विपक्ष की तरफ से मल्लिकार्जुर खरगे बोल रहे हैं.
लोकतंत्र में अहंकारी नारों की जगह नहीं-खरगे
खड़गे ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसी सदन में प्रधानमंत्री ने छाती ठोककर विपक्ष को ललकारते हुए कहा था कि 'एक अकेला सब पर भारी'. लेकिन मैं ये पूछना चाहता हूं, आज कितने लोग एक अकेले पर भारी हैं. चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया है कि देश का संविधान और जनता सबपर भारी है. लोकतंत्र में अहंकारी नारों के लिए कोई जगह नहीं है.
मूर्तियों को लेकर भी बरसे खरगे
खरगे ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, संविधान निर्माता बाबा साहब, छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियों को उनकी जगह से हटाकर पीछे कोने में रख दिया गया. उन्होंने कहा कि हमने मूर्तियों को वहां बैठाने के लिए लड़ाई लड़ी. उनकी इस बात पर राज्यसभा के सभापति ने उनको रोक दिया. जिसके बाद खरगे ने मूर्तियों को उनकी जगह पर ही रखने की अपील की.