नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी रहने के बीच संसद में विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं. विपक्ष कृषि कानून और उसके खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मुद्दे पर सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेरने में जुटा है. कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा में पंजाबी में बोलते हुए कहा कि जिस वक्त इस कानून को लेकर इस सदन में चर्चा हो रही थी तभी मैंने कहा था कि किसानों के लिए यह डेथ वॉरंट होगा, लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं मानी.
बाजवा ने कहा कि जिस समय सितम्बर में तीन कृषि कानून पर राज्यसभा में चर्चा हो रही थी तभी मैंने ये कहा था कि किसानों के लिए डेथ वारंट है और वो कभी नहीं मानेगा. हमने वोटिंग की मांग की थीं लेकिन, सरकार नहीं मानी. बड़े कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए धोखे से सरकार ने कानून पास करवा लिया. बाजवा ने 12 सांसदों के गाजीपुर बॉर्डर पर जाने की अनुमति ना दिए जाने का मुद्दा भी उठाया.
संसद में कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) करीब 11.30 बजे राज्यसभा में अपनी बात रखेंगे. वह किसान आंदोलन पर सरकार का पक्ष स्पष्ट करेंगे. तीनों कृषि कानून पर विपक्ष के नेताओं द्वारा सरकार पर ताबड़तोड़ हमले के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को जवाब देने के लिए मैदान में उतारने का फैसला किया.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से मुलाकात करने जा रहे विपक्षी दलों के सांसदों को पुलिस ने गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर जाने से रोक दिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने सरकार पर निशाना साधते हुए गुरुवार को ट्वीट में लिखा, "अकाली दल, समान विचारधारा रखने वाली पार्टियों और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने जा रहे सांसदों के साथ किसानों पर हो रहे अत्याचारों की निंदा करता है. शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों से सांसदों तक को मिलने नहीं दिया जा रहा है. यह वास्तव में लोकतंत्र के लिए काला दिन है!'