भाजपा की 'विभाजनकारी राजनीति' का मुकाबला करने के लिए पहले से अधिक वामपंथी हो गई है कांग्रेस: थरूर

शशि थरूर ने कहा कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है. इस अर्थ में अगर आप डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी को देखें तो आप कह सकते हैं कि यह अपने दृष्टिकोण में ज्‍यादा सचेतन रूप से मध्यमार्गी थी.

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  • कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उनकी पार्टी हाल के वर्षों में अधिक वामपंथी हो गई है.
  • थरूर ने बताया कि उनकी विचारधारा सिद्धांतों पर केंद्रित है, न कि व्यवहारिक राजनीति की बारीकियों पर.
  • उन्होंने कहा कि नरसिम्हा राव कार्यकाल में 1990 के दशक की शुरुआत में नीतिगत फैसलों का भाजपा ने अनुसरण किया.
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हैदराबाद:

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि पार्टी हाल के वर्षों में अधिक वामपंथी हो गई है, क्योंकि वह भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का मुकाबला करने का प्रयास कर रही है. क्या भाजपा की राजनीति के खिलाफ कांग्रेस और वामपंथी दलों का साथ आना ‘रेडिकल सेंट्रिज्म' (कट्टर केन्द्रीयता) का उदाहरण है, इस सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि उनके विचार “व्यवहारिक राजनीति की बारीकियों” पर नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधारा पर केंद्रित थे, जहां कुछ दूरियों को पाटने की आवश्यकता है. इससे पहले उन्होंने ‘रेडिकल सेंट्रिज्म' पर एक व्याख्यान दिया था.

उन्होंने गुरुवार रात आयोजित कार्यक्रम में कहा, “लेकिन, रणनीतिक समायोजन लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दरअसल, कुछ मायनों में, इसका एक नतीजा यह हुआ है कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है. इस अर्थ में अगर आप डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी को देखें तो आप कह सकते हैं कि यह अपने दृष्टिकोण में ज्‍यादा सचेतन रूप से मध्यमार्गी थी. इसने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की कुछ नीतियों से प्रेरणा ली थी.”

नरसिम्हा राव कार्यकाल की दिलाई याद 

उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने 1990 के दशक की शुरुआत में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कुछ नीतियां बनाई थीं, जिनका अनुसरण भाजपा ने कुछ साल बाद सत्ता में आने पर किया.

उन्होंने कहा कि यह तर्क दिया जा सकता है कि 1991 और 2009 के बीच एक मध्यमार्गी दौर था, जो संभवतः उसके बाद बदलना शुरू हो गया.

उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से, पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष में रहते हुए, कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है. यह रणनीतिक समायोजन है या दार्शनिक विश्वास या जो भी हो, यह तो देखना बाकी है.”

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह जिस बात की वकालत कर रहे थे वह राजनीतिक सीट स्तर पर तत्काल सामरिक समायोजन से कहीं आगे की बात थी.

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