कर्नाटक के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया, जो कि अब खूब सुर्खियां बटोर रहा है. सिद्धारमैया ने कहा कि वह हिंदू विरोधी नहीं बल्कि हिंदुत्व विरोधी हैं क्योंकि उनके अनुसार हिंदुत्व हत्या, हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देता है. कलाबुरगी में कांग्रेस के पूर्व विधायक बीआर पाटिल की बायोपिक पुस्तक के विमोचन पर सिद्धारमैया ने कहा, "हिंदुत्व संविधान के खिलाफ है. हिंदुत्व और हिंदू धर्म अलग है. मैं हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं हूं, मैं एक हिंदू हूं." लेकिन मनुवाद और हिंदुत्व का विरोध करें."
यह पहली बार नहीं है जब किसी मंत्री के हिंदुत्व पर दिए बयान को लेकर विवाद खड़ा हुआ. इससे पहले 8 जनवरी को उन्होंने कहा था कि वह एक हिंदू हैं लेकिन हिंदुत्व का विरोध करते हैं. इसी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि कभी भी अयोध्या में राम मंदिर का विरोध नहीं किया बल्कि वो राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने के खिलाफ थे. शनिवार को सिद्धारमैया ने कर्नाटक के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान पर भी हमला बोला. सोशल मीडिया पर सिद्धारमैया ने कई ट्वीट किए.
इन ट्वीट में कांग्रेस के दिग्गज नेताने राज्य के पशुपालन मंत्री और राज्य सरकार के कामकाज की आलोचना की. उन्होंने कन्नड़ में लिखा, "यह मंत्री कन्नड़ सहित किसी भी भाषा में धाराप्रवाह नहीं है और ऐसे लोग विधायक बनने के लायक नहीं हैं."बीजेपी पर निशाना साधते हुए मंत्री ने कहा, "बीजेपी नेताओं ने प्रत्येक विधायक को 15 से 20 करोड़ रुपये का भुगतान किया और येदियुरप्पा के नेतृत्व में 'ऑपरेशन कमल' के जरिए सरकार बनाई."
इसी के साथ उन्होंने दावा किया, "2013 में, हमने 165 वादों में से 158 को पूरा किया और 30 नए कार्यक्रम शुरू किए. भाजपा ने 2018 में 600 वादे किए, जिनमें से 50 से 60 पूरे नहीं किए गए." सिद्धारमैया ने कहा कि पेन, पेंसिल, किताबों और दही पर 18 प्रतिशत कर लगाकर सरकार ने आम आदमी पर अधिक बोझ डाला है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हर घर के मालिक को प्रति माह 20,00 रुपये और प्रति माह 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का फैसला किया है.
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