राजस्थान चुनाव की तारीख बेहद नजदीक आ चुकी है. ऐसे में कांग्रेस ने अपना चुनाव प्रचार भी तेज कर दिया है. लेकिन इस बीच ये भी सवाल उठ रहा है कि अगर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा? इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा है कि निर्वाचित विधायक और कांग्रेस आलाकमान तय करेगा कि राजस्थान में पार्टी की सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने हुए हैं. वहीं सीएम पद की रेस में उनके प्रतिद्वंद्वी गहलोत भी पीछे नहीं है, जिनसे उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है.
गहलोत और पायलट खेमों के बीच प्रतिद्वंद्विता की पृष्ठभूमि में गौर करने वाली बात ये है कि साल 2020 में कांग्रेस सरकार टूटने की कगार पर पहुंच गई थी. नतीजतन इस बार पार्टी ने चुनाव के लिए एकजुट मोर्चा बनाने की कोशिश की है, अब भी समय-समय पर तीखी नोकझोंक होती रहती है. इससे पहले, अपने प्रतिद्वंद्वी पर कटाक्ष करते हुए, गहलोत ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहते हैं, "लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है." यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस एकजुट है, पायलट ने कहा, "कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट है. यह भाजपा है जिसमें गुट हैं, तनाव हैं, झगड़े हैं. टिकटों का वितरण गलत तरीके से किया गया है. यह सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूं, यह दुनिया है." कांग्रेस वाले तो सभी एक साथ बैठते हैं और बात करते हैं."
पायलट ने कहा, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी ने उनसे "माफ करने, भूल जाने और आगे बढ़ने" के लिए कहा है. उन्होंने कहा, "इसलिए मैं भविष्य पर विचार कर रहा हूं. मैं राजस्थान के लिए पांच साल का रोडमैप देख रहा हूं. साथ मिलकर हम कांग्रेस को जीत दिलाएंगे. इसके बाद विधायक और नेतृत्व तय करेगा कि कौन क्या करेगा." यह पूछे जाने पर कि यह चुनाव 2018 के चुनावों से कैसे अलग है, पायलट ने कहा कि उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी. उन्होंने कहा, "इस बार लोगों ने हमारे पांच साल के काम को देखा है, हमने गांवों में जो विकास किया है, उसे देखा है. यह चुनाव ऐतिहासिक होगा, यह परंपरा बदल देगा और कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी."
आजादी के बाद करीब चार दशक तक राजस्थान की राजनीति पर कांग्रेस का दबदबा रहा. 1990 में भाजपा की जीत के बाद, राज्य ने कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता में वापस नहीं आने दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके निर्वाचन क्षेत्र टोंक में भी एक मिथक टूट जाएगा, जहां कोई भी कांग्रेस विधायक लगातार नहीं जीता. पायलट ने कहा, "इसी तरह, आजादी के बाद टोंक में कोई भी विधायक 50,000 वोटों के अंतर से नहीं जीता. रिकॉर्ड बनते हैं, टूटते हैं. मैं संख्याओं में नहीं जाना चाहता. लेकिन लोगों ने मुझ पर भरोसा किया है और हमने बहुत सारे विकास कार्य किए हैं, हमने कोविड-19 के दौरान लोगों की मदद की. इसलिए मैं कह सकता हूं कि हम टोंक में बड़े अंतर से जीतेंगे."
पायलट ने भाजपा पर भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "भाजपा बिजली, पानी और शिक्षा जैसे जनकल्याणकारी मुद्दों के बजाय धर्म, मंदिर और मस्जिद की बात करती है."
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