"स्‍टेडियम कुत्‍तों को घुमाने के लिए नहीं, ये प्‍लेयर्स के लिए हैं" : NDTV से बातचीत में कांग्रेस नेता अजय माकन

केंद्र में खेल मंत्रालय संभाल चुके माकन ने कहा, "ये बात बहुत दुख की है. स्टेडियम कुत्तों के घूमने के लिए नहीं हैं, वे खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए हैं.

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नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने देश के एक स्‍टेडियम में कुत्‍ते को घुमाने का मामला सामने आने को लेकर अफसोस के साथ साथ नाराजगी का भी इजहार किया है. केंद्र में खेल मंत्रालय संभाल चुके माकन ने कहा, "ये बात बहुत दुख की है. स्टेडियम कुत्तों के घूमने के लिए नहीं हैं, वे खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए हैं.  ये स्टेडियम कॉमनवेल्थ गेम के समय के बने हैं.  इसके बाद जो स्पोर्टस अथॉरिटी में आते थे. इसके कम एंड प्ले की स्‍कीम लांच की गई और खिलाड़ियों के लिए स्‍टेडियम खोल दिए गए. देशभर में डिमांड आई. गर्मी की छुट्टियां थी. 12000 खिलाड़ी आए और बहुत अच्छा चला. अब नहीं पता क्या स्थिति है. अपने सरकार के समय की बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि हम खिलाड़ियों को खेल का सामान भी देते थे. साथ ही पटियाला के ट्रेनिंग, स्कूल में कोच के लिए मेंडेटरी कर दिया था. फिर वे कोच आते थे, बच्चों को ट्रेनिंग देते थे. माकन ने कहा, 'इस चीज को बंद करके स्‍टेडियम को आईएस अफसर के कुत्ते को घुमाने के लिए खोला जाए, तो इससे ज्यादा शर्म की बात नहीं हो सकती.'  

अजय माकन ने कहा, 'प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, नेता भी खेल संगठनों के प्रमुख होते हैं. मैं अपने समय में स्पोर्टस बिल लेकर आया लेकिन मुझे इसके लिए किसी भी पार्टी से सहयोग नहीं मिला, फिर मुझे इस मंत्रालय से ही हटा दिया. मैं ये बिल इसलिए लेकर आया था कि ऐसे आदमी जिसका स्‍पोर्ट्स से कोई वास्‍ता नहीं है, वो इसका हेड क्यों होना चाहिए. खेल में नेता कब्जा करके बैठे हैं. इससे उनकी फॉरेन ट्रिप होती है और बचेखुचे  में प्रशासनिक अधिकारी आ जाते हैं.' उन्‍होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अंदर सुप्रीम कोर्ट आई, उनको रास्‍ते पता हैं. आईपीएल में रास्ता निकल गया है. जब तक इसका सख्‍ती से पालन नहीं किया जाएगा, तब तक कुछ नहीं होगा. जो अभी स्पोर्ट्स को हेड कर रहे हैं, उनका स्‍पोर्ट्स से क्या लेना-देना है. जो स्‍पोर्ट्स को रिप्रेजेंट करते हैं उनको होना चाहिए न कि राजनेताओं को. अगर स्‍पोर्ट्स को जिंदा रखना है तो खिलाड़ियों को ही जुड़ना होगा.  माकन ने कहा, "आज जो खिलाड़ी अच्छा कर रहे हैं वो सिस्टम के वजह से नहीं अपने वजह से कर रहे हैं. अगर उन्हें सिस्टम का सपोर्ट मिल जाए तो और कितना बेहतर वे करेंगे. एक शहर के अंदर 12000 बच्चे स्टेडियम के अंदर आ सकते हैं. उसी को जारी रखा जाए तो लाखों बच्चे करेंगे तो खेलों में भारत पहले नंबर पर क्यों नहीं आएगा?"  उन्‍होंने कहा, " मेरी दिल्ली और केंद्र सरकार से निवेदन है कि स्टेडियमों में शादी समारोह बंद करवाओ. स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए मंदिर है. अगर वहां कर्यक्रम होते हैं तो खिलाड़ियों की प्रैक्टिस में बाधा आ जाती है. क्या हम थोड़ा सा पैसा नहीं लगा सकते कि शादी के भरोसे नहीं रहना पड़े. वहां समारोह नहीं, प्‍लेयर्स की प्रैक्टिस होना चाहिए." 

सियासत से जुड़े सवाल पर कहा, " जो लोग कांग्रेस के अंदर हैं, उनको कांग्रेस की विचारधारा पर भरोसा होना चाहिए. हम लोग कांग्रेस की विचारधारा से जुडे हैं. पद मिले न मिले, विचारधारा से बड़ी कोई चीज़ नहीं है. वो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं जो संघर्ष नहीं कर सकते या संघर्ष नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस की विचारधारा को छोड़कर दूसरी ओर जाने का क्या मतलब है." उन्‍होंने कहा कि इस संबंध में सवाल लीडरशिप से नहीं, उनसे पूछें जो पार्टी छोड़कर जा रहे हैं कोई भी छोड़कर जा रहा है तो लालच मे जा रहा है. उसको वहां जाकर राज्यसभा या कोई पद मिल जाता है तो इसके बाद बताने की ज़रूरत नहीं कि क्यों जा रहा है. कोई छोड़कर जा रहा है और वहां कोई पद नहीं ले रहा है तो फिर हमारी गलती है. माकन ने कहा, " चिंतन शिविर को हम नवसंकल्प शिविर कहते हैं और ये 9 संकल्‍प हमारे लिए ऋण हैं. अगर हम इसका पालन करेंगे तो तर जाएंगे, नहीं करेंगे तो डूब जाएंगे. हमें अपनी पार्टी को युवा बनाना है. हर कमेटी में ये होना ज़रूरी है. हम बहुत पुरानी पार्टी है जिसका फायदा भी है और नुकसान भी. फायदा ये है कि पुरानी होने की वजह से हर गली-मौहल्‍ले में हमारे लोग हैं वहींनुकसान ये है कि बदलते युग को हम अपना नहीं पाते. इसे अपनाना होगा तो तर जाएंगे.'' एक अन्‍य सवाल पर माकन ने कहा कि कि राजनीतिक मतभे हर पार्टी में हैं.मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए.

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