प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने सिविल सेवा के अधिकारियों और सैनिकों के राजनीतिकरण का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को "रथप्रभारी" के रूप में भारत के सभी 765 जिलों में तैनात करने का विरोध किया है. इसे लेकर कांग्रेस नेता काफी मुखर हैं और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने यहां तक कह दिया है कि सिविल सेवकों को चुनाव में जाने वाली सरकार के लिए राजनीतिक प्रचार करने के आदेश कैसे दिए जा सकते हैं? इसे लेकर अब भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कहा कि इससे गरीबों के हित को ध्यान में रखने वाले किसी भी व्यक्ति को समस्या नहीं हो सकती है, लेकिन कांग्रेस की रुचि केवल गरीबों को गरीबी में रखने में है. वहीं भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सवाल किया है कि किसने कहा कि नौकरशाहों को कार्यान्वित कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में कहा, " मुझे यह देखकर हैरानी है कि कांग्रेस पार्टी को योजनाओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले लोक सेवकों से दिक्कत है. यदि यह शासन का मूल सिद्धांत नहीं है, तो क्या है? 'रथ' के विरोध के संबंध में यह युद्धपोतों को निजी नौकाओं के रूप में उपयोग करने के विपरीत सार्वजनिक संसाधनों का उपयुक्त उपयोग है."
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, "शायद कांग्रेस पार्टी के लिए यह अलग अवधारणा है, लेकिन सार्वजनिक सेवा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है. मोदी सरकार यदि सभी योजनाओं की संतुष्टि सुनिश्चित करना चाहती है और सभी लाभार्थियों तक पहुंचना सुनिश्चित करना चाहती है तो गरीबों के हित को ध्यान में रखने वाले किसी भी व्यक्ति को समस्या नहीं हो सकती है, लेकिन कांग्रेस की रुचि केवल गरीबों को गरीबी में रखने में है और इसलिए वे संतृप्ति अभियान का विरोध कर रहे हैं."
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा, "किसने कहा कि भारत सरकार में ब्यूरोक्रेट्स को कार्यान्वित कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है? उन्हें प्रभाव का आकलन करने के लिए क्या सिर्फ कार्यालयों में बैठना चाहिए और जमीन पर नहीं होना चाहिए? नौकरशाहों का कर्तव्य है कि वे लोगों की सेवा करें, जैसा निर्वाचित सरकार ठीक समझे."
इसके साथ ही मालवीय ने अपनी पोस्ट में लिखा, "सिर्फ इसलिए कि पांच राज्यों में चुनाव हैं और आम चुनाव सात महीने दूर हैं, क्या हम शासन करना छोड़ दें? गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी, हर साल, चुनाव की परवाह किए बिना मोदी जी ने सुनिश्चित किया था कि उनके ब्यूरोक्रेट्स जून-जुलाई में जमीन पर जाएं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूल जाने वाले सभी बच्चों का नामांकन हो. इसी ने ही गुजरात में सार्वभौमिक शिक्षा सुनिश्चित की."
2.7 लाख पंचायतों तक जाएगी भारत सरकार : मालवीयइसके साथ ही उन्होंने कहा, "इसी तरह, पीएम मोदी पीएम मोदी पीएम आवास योजना (ग्रामीण), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पीएम किसान, फसल बीमा योजना, पोषण अभियान, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, जनऔषधि योजना, पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, कौशल विकास जैसी कल्याणकारी योजनाओं को लेकर पूरी तरह से संतुष्टि चाहते हैं. अगले छह महीनों में उनकी सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में विश्वकर्मा योजना आदि शामिल हैं. उनकी पूरी सरकार 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' नामक एक मेगा संतृप्ति अभियान के तहत 2.7 लाख पंचायतों में जाएगी, संभावित लाभार्थियों तक पहुंचेगी और उनका नामांकन करेगी."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अधिकारियों से पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को "प्रदर्शन" करने के लिए कहने वाला सरकार का हालिया आदेश नौकरशाही का "राजनीतिकरण" था और उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की. अपने पत्र में, खड़गे ने 18 अक्टूबर को जारी सरकारी आदेश पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को "भारत सरकार की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने" के लिए "रथप्रभारी" के रूप में भारत के सभी 765 जिलों में तैनात किया जाना है. इसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट किया है.
इसके साथ ही खरगे ने 9 अक्टूबर 2023 को रक्षा मंत्रालय के एक अन्य आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें वार्षिक छुट्टी पर गए सैनिकों को सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश दिया गया था, जिससे उन्हें "सैनिक-राजदूत" बनाया जा सके.
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