जमात इस्लामी हिन्द की केंद्र सरकार से मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून लाने की मांग

जमात इस्लामी हिन्द (Jammat Islami Hind) ने घृणा, अपराध और लिंचिंग के मामले बढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र को इन घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके खिलाफ क़ानून लाना चाहिए.

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मॉब लिंचिंग रोकथाम' विधेयकों को जल्दी पारित किया जाना चाहिए 
नई दिल्ली:

जमात इस्लामी हिन्द (Jammat Islami Hind) ने देश में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ घृणा, अपराध और लिंचिंग के मामले बढ़ने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि केंद्र को इन घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके खिलाफ क़ानून लाना चाहिए. जमात ने साथ ही झारखंड में 'भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021' पारित किए जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि ऐसा क़ानून सभी राज्यों को लाना चाहिए. जमात के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने शुक्रवार को दिल्ली में जमात मुख्यालय में आकहा कि हाल के दिनों में असामाजिक और आपराधिक तत्वों के अलावा कुछ सुसंगठित समूह और गौरक्षक गिरोह इतने साहसिक हो गए हैं कि दिन के उजाले में लिंचिंग को अंजाम देते हैं, उन्हें फिल्माते हैं और सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हैं.  

उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व बेखौफ होकर गलत घटनाएं करते हैं क्योंकि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की जाती. इंजीनियर  ने कहा - 'इससे संकेत जाता है कि सरकार को अल्पसंख्यकों और हाशिए के लोगों की सुरक्षा की चिंता नहीं है. इससे आम नागरिकों में डर पैदा हो रहा है.  जमात झारखंड सरकार की 'भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021' के पारित किए जाने सराहना करती है और कि सभी राज्योंब को ऐसा क़ानून लाना चाहिए.''  उन्होंने कहा कि राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड भारत का तीसरा राज्य है जिसने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून पारित किया है. देश के अन्य राज्यों में भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ क़ानून लाने की आवश्यकता है. जो लोग हिंसा और क़त्लेआम की बात करते हैं, वे धर्म के सच्चे प्रतिनिधि नहीं हैं.

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इंजीनियर ने कहा - ''जमात महसूस करती है कि अपने नागरिकों के जीवन की रक्षा करना केंद्र और राज्य सरकारों का कर्तव्य है इसलिए, उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और इसी तरह के 'मॉब लिंचिंग रोकथाम' विधेयकों को जल्दी से पारित किया जाना चाहिए.  उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लिंचिंग हमारे देश में इतिहास की चीज बन जाए.''

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जमात नेता ने कहा कि उनका संगठन कुछ सुव्यवस्थित समूहों द्वारा खुले तौर पर 'इस्लामोफोबिक' और एक विशेष समुदाय को लक्षित करने वाले घृणास्पद भाषण देने के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है. उन्होंने कहा - ''यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नफरत की यह राजनीति वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए (खासकर जब चुनाव आसपास है) की जाती है ताकि सरकार और सत्ता प्रतिष्ठान के विकास प्रदर्शन से लोगों का ध्यान अन्य भावनात्मक मुद्दों पर स्थानांतरित हो जाए.''

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इंजीनियर ने कहा कि महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा - ''माताओं और नवजात शिशुओं के खराब स्वास्थ्य का कारण गरीबी और कुपोषण है. यदि खराब स्वास्थ्य देखभाल और गरीबी इतने उच्च स्तर पर बनी रहती है, तो आयु सीमा बढ़ाने से स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.'' उन्होंने कहा कि यह प्रकृति के नियम के खिलाफ है इसकी वजह से मनोवैज्ञानिक, चिकित्सा, सामाजिक और मानवाधिकार जैसी समस्याएं जन्म लेंगी. ''अगर यह प्रस्ताव कानून का रूप लेता है, तो यह आदिवासी समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.''

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देश में विधानसभा चुनावों और कोविड वायरस से जुड़े सवाल के जवाब में इंजीनियर ने कहा  - ''उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव में विशाल राजनीतिक रैलियां देखने को मिल रही हैं. प्रधान मंत्री सहित सरकार में शीर्ष पदों पर काबिज सत्ताधारी दल के नेता इन राजनीतिक रैलियों में भाग ले रहे हैं जो सभी स्वास्थ्य सावधानियों की अवहेलना हैं.'' इंजीनियर ने कहा कि जमात महसूस करती है कि भाजपा सहित चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से इन बेहद महंगी और जोखिम भरी राजनीतिक रैलियों के आयोजन से बचना चाहिए. ''वे इन गलतियों से बचकर अपना और देश का बहुत बड़ा उपकार करेंगे जो कोविड महामारी की तीसरी लहर का कारण बन सकती हैं.''

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