खत्म होगा इंतजार, कोस्ट गार्ड और नौसेना के ध्रुव हेलिकॉप्टर फिर भरेंगे उड़ान, 8 महीने से हैं ग्राउंडेड

एचएएल नौसेना और कोस्टगार्ड को शुरुआती परीक्षण के लिए दो- दो ध्रुव हेलीकॉप्टर देगी. इनके उड़ान परीक्षण कामयाब होने के बाद अंतिम रिपोर्ट आएगी जिसके आधार पर उड़ान को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

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एएलएच ध्रुव, वॉरशिप डेक पर लैंडिंग और फ्लोटेशन डिवाइस जैसी खास सुविधाओं से लैस भी होते हैं. (फाइल)
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  • कोस्टगार्ड के एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर के क्रैश होने के बाद जनवरी में सभी हेलिकॉप्टर ग्राउंड कर दिए गए थे.
  • डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन टीम ने हादसे की सही वजह का पता लगाया है और रिपोर्ट पूरी होने वाली है.
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जांच के बाद नौसेना और कोस्टगार्ड को दो- दो हेलिकॉप्टर परीक्षण के लिए देगी.
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नई दिल्‍ली :

नौसेना और कोस्टगार्ड के स्वदेशी एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर (ALH Dhruv Helicopter) जल्द ही फिर से उड़ान भरने जा रहे हैं. इस साल जनवरी में पोरबंदर में कोस्टगार्ड का एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद जांच के लिए इन्हें ग्राउंडेड कर दिया गया था. अब यह जांच पूरी होने वाली है, जिसके बाद इन्हें दोबारा उड़ान की हरी झंडी मिल जाएगी. इल हेलिकॉप्टर को बनाने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सूत्रों का कहना है कि जांच के लिए बनी डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन टीम की रिपोर्ट में हादसे की सही वजह का पता चल गया है. 

अब एचएएल नौसेना और कोस्टगार्ड को शुरुआती परीक्षण के लिए दो- दो ध्रुव हेलिकॉप्टर देगी. इनके उड़ान परीक्षण कामयाब होने के बाद अंतिम रिपोर्ट आएगी जिसके आधार पर उड़ान को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

5 फरवरी को क्रैश हुआ था ध्रुव हेलिकॉप्‍टर

इस साल पांच जनवरी  को पोरबंदर में कोस्टगार्ड का एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद सेना, वायुसेना, नौसेना और कॉस्टगार्ड ने हेलिकॉप्टर के पूरे फ्लीट को ही ग्राउंड कर दिया गया था. पोरबंदर एयरपोर्ट पर हुई इस दुर्घटना में दो पायलटों और एक क्रू ड्राइवर की मौत हो गई थी.

एक मई को शुरुआती जांच रिपोर्ट आने के बाद  थलसेना और वायुसेना के ध्रुव हेलिकॉप्टर उड़ान भरने लगे थे, लेकिन नौसेना और कोस्टगार्ड के एएलएच ने उड़ान भरना शुरू नहीं किया था.

इन खास सुविधाओं से लैस हैं ये हेलिकॉप्‍टर

नौसेना और कोस्टगार्ड के पास एएलएच के मरीन वर्जन वाले हेलीकॉप्टर हैं. ये हेलिकॉप्टर समुद्र के ऊपर उड़ान भर सकते हैं, साथ ही यह वॉरशिप डेक पर लैंडिंग और फ्लोटेशन डिवाइस जैसी खास सुविधाओं से लैस भी होते हैं. इन हेलीकॉप्टर के अलग सेंसर और स्ट्रक्चर की वजह से इनकी जांच और मरम्मत में ज्यादा वक्‍त लग रहा है. 

ध्रुव हेलिकॉप्टर की गैर मौजूदगी में कोस्टगार्ड और नौसेना अपनी जरूरतों के लिए पुराने चेतक हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चेतक हेलीकॉप्टर की दिक्कत यह है कि इसमें राडार नहीं है, जिससे यह समुद्र में 10 किलोमीटर से आगे उड़ान नहीं भर पाता है. वैसे भी एएलएच ध्रुव के मुकाबले इसकी क्षमता और तकनीक काफी सीमित है.

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तीनों सेनाओं के पास है ध्रुव हेलिकॉप्‍टर

कोस्टगार्ड के साथ ही थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ही एएलएच ध्रुव का इस्तेमाल करती हैं. फिलहाल कोस्टगार्ड के पास 19 चेतक और 16 ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं. वही नौसेना के पास 18 एचएएल ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं. सेना के पास करीब 145 ध्रुव हेलिकॉप्टर हैं, जबकि वायुसेना के पास 70 ध्रुव हेलिकॉप्टर हैं. कोस्टगार्ड और नौसेना का कहना है जब तक एचएएल से क्लीयरेंस नहीं आ जाता है, तब तक वो इन हेलिकॉप्टर को नहीं उड़ाएंगे. 

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