मेघालय में 11 साल बाद वैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन शुरू, रैट होल माइनिंग के चलते लगा था बैन

2014 में NGT ने मेघालय में अवैज्ञानिक और खतरनाक rat-hole mining के चलते कोयला खनन पर रोक लगा दी थी. अब मंत्रालय ने वैज्ञानिक और नियंत्रित तरीके से कोयला खनन की शुरुआत की है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मेघालय में 11 साल बाद वैज्ञानिक और नियंत्रित तरीके से कोयला खनन की औपचारिक शुरुआत हुई है.
  • सायंगखाम और पिंडेंगशालांग कोल ब्लॉक से कानूनी मंजूरी मिलने के बाद उत्पादन शुरू हो गया है.
  • एनजीटी ने 2014 में अवैज्ञानिक और खतरनाक रैट-होल माइनिंग के कारण यहां कोयला खनन पर रोक लगा दी थी.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

एक दशक पुराने प्रतिबंध के बाद मेघालय में अब वैज्ञानिक और नियंत्रित ढांचे के तहत कोयला खनन की औपचारिक रूप से शुरुआत हो गई है. 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद यह एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जो पर्यावरण के अनुरूप सतत खनन की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

कोयला मंत्रालय के अनुसार, राज्य के दो कोयला ब्लॉक – ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले का सायंगखाम ए कोल ब्लॉक और वेस्ट खासी हिल्स जिले का पिंडेंगशालांग कोल ब्लॉक को सभी कानूनी मंजूरी मिल चुकी है और इनमें उत्पादन शुरू हो चुका है. सायंगखाम ब्लॉक को 10 मार्च 2025 को और पिंडेंगशालांग ब्लॉक को 2 मई 2025 को अनुमति दी गई थी. सायंगखाम ने 3 जून और पिंडेंगशालांग ने 5 जून से उत्पादन शुरू कर दिया है.

गौरतलब है कि 2014 में NGT ने मेघालय में अवैज्ञानिक और खतरनाक rat-hole mining के चलते कोयला खनन पर रोक लगा दी थी. इसके पीछे पर्यावरण को नुकसान, जल स्रोतों का प्रदूषण और मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं थीं.

बता दें कि रैट-होल माइनिंग का नाम चूहे के बिल (rat hole) से लिया गया है क्योंकि इस प्रक्रिया में बहुत संकरे और छोटे गड्ढे खोदे जाते थे. मजदूर इन गड्ढों में रेंगकर जाते और कुदाल जैसे साधारण औजारों से कोयला निकालते. ये मजदूर अक्सर बच्चे होते थे क्योंकि उनका शरीर छोटा होता है और वे आसानी से इन संकरी जगहों में काम कर सकते हैं.

खनन फिर से शुरू करने से पहले राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने कई वर्षों तक कानूनी और पर्यावरणीय इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया ताकि वैज्ञानिक, सुरक्षित और वैध खनन की रूपरेखा की जा सके. 

कोयला मंत्रालय ने कहा कि यह कदम न सिर्फ पूर्वोत्तर भारत के ऊर्जा योगदान को मजबूती देगा बल्कि इस क्षेत्र में आर्थिक विकास व ऊर्जा सुरक्षा को भी बढ़ावा देगा. मंत्रालय ने अन्य राज्यों से भी कहा है कि वे वैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन को अपनाएं और कोयला ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने में सहयोग करें.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Dharali Clouburst: पल भर में सैलाब ने छीना सबकुछ, बसा बसाया घर तबाह | Uttarakhand Cloudburst | IMD
Topics mentioned in this article