क्लाउड पार्टिकल स्कैम मामला: ED की 10 जगहों पर छापेमारी, 73 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त

ईडी की जांच व्यूनाउ इंफ्राटेक लिमिटेड, इसके डायरेक्टर राहुल आनंद भार्गव और ग्रुप के सीईओ-फाउंडर सुखविंदर सिंह खारौर समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ चल रही है. यह मामला गौतम बुद्ध नगर  पुलिस और पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर पर आधारित है.  

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ईडी की जालंधर जोनल ऑफिस की टीम ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्‍ट्र में 10 ठिकानों पर छापेमारी की.
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  • ED ने क्लाउड पार्टिकल स्कैम मामले में पंजाब-हरियाणा और महाराष्ट्र के 10 ठिकानों पर छापेमारी की है.
  • ED ने व्यूनाउ ग्रुप ऑफ कंपनीज और संबंधित आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कार्रवाई की है.
  • ED की छापेमारी के दौरान 73.72 करोड़ रुपए मूल्य की नकदी, शेयर, अचल संपत्ति और दस्तावेज जब्त किए गए हैं.
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नई दिल्‍ली :

क्‍लाउड पार्टिकल स्‍कैम में प्रवर्तन निदेशालय ने देश में कई जगहों पर बड़ी छापेमारी की गई है. ईडी की जालंधर जोनल ऑफिस की टीम ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्‍ट्र में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. यह कार्रवाई व्यूनाउ ग्रुप ऑफ कंपनीज और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई. ईडी ने इस दौरान 73.72 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है. 

ईडी की जांच व्यूनाउ इंफ्राटेक लिमिटेड, इसके डायरेक्टर राहुल आनंद भार्गव और ग्रुप के सीईओ-फाउंडर सुखविंदर सिंह खारौर समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ चल रही है. यह मामला गौतम बुद्ध नगर  पुलिस और पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर पर आधारित है.  

क्या है ‘क्लाउड पार्टिकल स्कैम'

ईडी के मुताबिक, सुखविंदर सिंह खारौर और उनके साथियों ने कई हजार करोड़ रुपये का ‘क्लाउड पार्टिकल' घोटाला रचा. निवेशकों को ‘क्लाउड पार्टिकल' नाम की एक टेक्नोलॉजी बिजनेस स्कीम में पैसा लगाने के लिए लुभाया गया. यह स्कीम सेल-एंड-लीज-बैक मॉडल (SLB Model) पर आधारित बताई गई, लेकिन असल में इसका कोई ठोस बिजनेस नहीं था.

कंपनी के पास क्लाउड पार्टिकल किराए पर लेने वाले असली क्लाइंट लगभग ना के बराबर थे. साथ ही किसी भी डेटा सेंटर क्लाइंट से असल में कोई किराया नहीं मिला. यह पूरी योजना सिर्फ पैसे के गोल-गोल घूमने का खेल थी. 

जांच में ये भी सामने आया कि ईडी की जांच शुरू होने के बाद से व्‍यूनाउ ग्रुप ने निवेशकों को किराया देना बंद कर दिया, क्योंकि नए निवेशक आना बंद हो गए और असल में कोई क्लाइंट था ही नहीं जो किराया देता. 

छापेमारी में क्‍या हुआ बरामद?

  • 23.90 लाख रुपए की नकदी 
  • इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और अहम दस्तावेज
  • 63.49 करोड़ रुपए के शेयर
  • 9.99 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति

कुल मिलाकर 73.72 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त/फ्रीज की गई. 
 

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