बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस सरस्वती पूजा के अवसर पर आयोजित राज्यपाल के 'हटे खोरी' कार्यक्रम के लिए कोलकाता राजभवन में एक साथ पहुंचे. इस कार्यक्रम में राज्यपाल को बंगाली वर्णमाला की दीक्षा दी गई, इसके तहत उनके बांग्ला भाषा सीखने की प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हुई और यह दीक्षा नौ साल के बच्चे के हाथों हुई. राजभवन के लॉन में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत प्रख्यात गायक पंडित अजॉय चक्रवर्ती द्वारा "सरस्वती बंदना" के पाठ के साथ हुई.
इस दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच एक सौहार्दपूर्ण संबंध देखने को मिला. गौरतलब है कि इससे पहले राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई मुद्दों पर काफी विवाद देखने को मिले थे. राज्यपाल बोस ने अब तक अपने आप को एक सीमित दायरे में ही रखा है. उन्होंने अब तक राजनीतिक मुद्दों पर अधिक ध्यान नहीं दिया है. बताते चलें कि राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका का उल्लंघन करने के लिए धनखड़ की काफी आलोचना की गई थी. तृणमूल कांग्रेस ने शिकायत की थी कि उन्होंने राजभवन को भाजपा कार्यालय का ही एक एक्सटेंशन बना दिया है.
हालांकि वर्तमान राज्यपाल के सीएम के साथ निकटता को लेकर प्रदेश बीजेपी में नाराजगी देखने को मिल रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुवेदु अधिकारी ने निंदा करते हुए ट्वीट कर इस कार्यक्रम हिस्सा नहीं लिया. बीजेपी नेता स्वपन दासगुप्ता ने राज्यपाल की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया है.
बताते चलें कि बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्या बसु ने राज्यपाल के लेखन का बंगाली में अनुवाद करने की पहल की है.राज्यपाल ने यह भी घोषणा की है कि वह बंगाली सीखने के लिए सप्ताह के दिनों में एक घंटा समर्पित करेंगे. उन्होंने कहा है कि रवींद्रनाथ टैगोर की काबुलीवाला उनके द्वारा पढ़ी गई सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है. राज्यपाल के प्रयासों की सराहना करते हुए बनर्जी ने राज्यपाल की मातृभाषा मलयालम में कुछ पंक्तियां भी बोलीं. ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें भारत की विविधता में एकता पर गर्व है.
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