कानूनी पेशे में लैंगिक प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिये और अधिक काम करने की जरूरत: CJI

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विभिन्न राज्यों में न्यायिक सेवा के निम्नतम स्तर के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में अब 60 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं आवेदन करती हैं.

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कोलकाता:

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि कानूनी पेशे में लैंगिक प्रतिनिधित्व का अधिकतम प्रतिनिधित्व हासिल करने के लिए और अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने इस दिशा में पहले से किए गए प्रयासों की सराहना की.

चंद्रचूड़ ने कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों से लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विभिन्न राज्यों में न्यायिक सेवा के निम्नतम स्तर के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में अब 60 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं आवेदन करती हैं.

कलकत्ता उच्च न्यायालय में बार लाइब्रेरी क्लब के द्वि-शताब्दी समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा, ''यह आपको भारत में हो रहे सामाजिक विकास को दर्शाता है.''

चंद्रचूड़ ने कहा, ''महिलाओं और पुरुषों की समान भागीदारी भी बढ़ रही है, लेकिन फिर भी यह सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है कि हमारी न्यायिक संस्थाएं वास्तव में सभी के लिए समावेशी और समायोजनकारी हों.''

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