यह कहना गलत कि कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी है : CJI डी. वाई. चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'यह कहना कि कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है, उचित नहीं होगा. हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि अधिक पारदर्शिता बनी रहे.

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
नई दिल्ली:

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम व्यवस्था का सोमवार को बचाव करते हुए कहा कि इसमें अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि प्रक्रिया की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति से पहले परामर्श की उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए कॉलेजियम के द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'यह कहना कि कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है, उचित नहीं होगा. हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि अधिक पारदर्शिता बनी रहे. निर्णय लेने की प्रक्रिया में निष्पक्षता की भावना बनी रहनी चाहिए... जब हम उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों के नामों पर विचार करते हैं, तो हम उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों के करियर पर भी विचार करते हैं.''

उन्होंने कहा, 'इसलिए कॉलेजियम के भीतर होने वाली चर्चा को कई विभिन्न कारणों से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. हमारी कई चर्चाएं उन न्यायाधीशों की निजता पर होती हैं, जो उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति के लिए विचाराधीन हैं. वे चर्चाएं यदि उन्हें स्वतंत्र और खुले माहौल में होनी हैं, तो वे वीडियो रिकॉर्डिंग या दस्तावेजीकरण का विषय नहीं हो सकतीं. यह वह प्रणाली नहीं है, जिसे भारतीय संविधान ने अंगीकार किया है.'' प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विविधतापूर्ण समाज को ध्यान में रखते हुए यह भी महत्वपूर्ण है कि हम निर्णय लेने की अपनी प्रक्रिया पर भरोसा करना सीखें.

Advertisement

उन्होंने कहा, 'प्रक्रिया की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन अब, जबकि मैं कई साल से इस प्रक्रिया का हिस्सा हूं, तो मैं आपके साथ साझा कर सकता हूं कि किसी न्यायाधीश की नियुक्ति से पहले परामर्श की उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए हमारे न्यायाधीशों द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.''

Advertisement

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत का प्रधान न्यायाधीश होने के नाते वह संविधान और शीर्ष अदालत द्वारा इसकी व्याख्या करने वाले कानून से बंधे हैं. उन्होंने कहा, 'न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए हमारे यहां कॉलेजियम प्रणाली है जो 1993 से हमारी न्याय व्यवस्था का हिस्सा है और इसी प्रणाली को हम लागू करते हैं. लेकिन यह कहने के बावजूद, कॉलेजियम प्रणाली के मौजूदा सदस्यों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसे कायम रखें तथा इसे और पारदर्शी बनाएं. इसे और अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाएं. और हमने उस संबंध में कदम उठाए हैं, निर्णायक कदम उठाए हैं.''

Advertisement

ये भी पढ़ें-:

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Cabinet Portfolio: Fadnavis-Shinde को 3-3 मंत्रालय, क्या है सरकार की रणनीती?
Topics mentioned in this article