अनुच्छेद 370, इलेक्टोरल बॉन्ड...CJI डीवाई चंद्रचूड़ की वो टिप्पणियां जो बनी भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए नजीर

CJI चंद्रचूड़ ने गर्भपात के मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि असुरक्षित गर्भपात पर रोका जा सकता है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में हमारी समझ पर और विचार करना होगा.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
CJI चंद्रचूड़ ने कई बड़े मामलों को लेकर की ऐतिहासिक टिप्पणी
नई दिल्ली:

DY चंद्रचूड़ बतौर मुख्य न्यायाधीश (CJI) आज (10 नवंबर) को रिटायर हो रहे हैं. डीवाई चंद्रचूड़ (DY ChandraChud) भारत के 50वें  CJI रहे. अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान और इससे पहले बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने ऐसे कई मामलों पर अपना फैसला सुनाया जो भारतीय न्याय के लिए अब नजीर बन चुके हैं. चाहे बात अनुच्छेद 370 की करें या फिर इलेक्टोरल बॉन्ड की या फिर LGBTQ+ के मामले की, इन मामलों की सुनवाई के दौरान डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी भी बेहद चर्चाओं में रही है. चलिए आज हम आपको उनकी पांच ऐसी बड़ी टिप्पणियों से एक बार फिर रूबरू करवाते हैं. 

अनुच्छेद 370 पर डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया था बड़ा फैसला

इस मामले की सुनवाई के दौरान डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है. अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था. इसके टेक्स्ट को देखें तो भी चलता है कि यह अस्थायी प्रावधान था.सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना था.इस फ़ैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक बताया था.पीएम मोदी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के सपनों को पूरा करने की प्रतिबद्धता अटूट रहेगी. 

इलेक्टोरल बॉन्ड केस पर डीवाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एसबीआई पर एक बार फिर तीखी टिप्पणी की थी. इलेक्टोरल बॉन्ड मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एसबीआई से कहा था कि कोई भी जानकारी छिपाई नहीं जा सकती है. इलेक्टोरेल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी सार्वजनिक करनी ही होगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद से उसके बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है. काले धन पर काबू पान का एकमात्र तरीका इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं हो सकता है.इसके और भी कई विकल्प है.

Advertisement

कोलकाता रेप-मर्डर केस 

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ रेप और बाद में उसकी हत्या को लेकर भी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की थी. उन्होंने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि कार्यस्थल की सुरक्षित स्थिति बनाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल होना चाहिए. अगर महिलाएं कार्यस्थलों में नहीं जा सकतीं और सुरक्षित महसूस नहीं कर सतकीं, तो हम उन्हें समान अवसर से वंचित कर रहे हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा था कि एनटीएफ ने एक रिपोर्ट पर कहा कि एनटीएफ ने चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और सुरक्षित कार्य स्थान बनाने के लिए अपनी सिफारिशें तैयार की हैं और दूसरा चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ यौन हिंसा की रोकथाम है. एनटीएफ का कहना है कि सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को रिपोर्ट का पालन करना चाहिए.ऐसे में हम निर्देश देते हैं कि रिपोर्ट की प्रति सभी वकीलों, राज्य, केंद्र शासित प्रदेश के सभी मुख्य सचिवों को उपलब्ध कराई जाएगी और यदि कुछ सिफारिशें की जाती हैं, तो स्थायी वकील ऐसी सिफारिशें कर सकते हैं. राज्यों को तीन सप्ताह का समय में इसको लागू करने दीजिए.

Advertisement

गर्भपात के मामले पर की थी विशेष टिप्पणी

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि एक अविवाहित महिला को सुरक्षित गर्भपात कराने की इजाज़त न देना उसकी निजी स्वायत्तता और आज़ादी का उल्लंघन होगा.सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एमटीपी एक्ट में संशोधन के ज़रिए मंशा अविवाहित महिलाओं को भी इसके दायरे में लाने की रही होगी. इसलिए संशोधित क़ानून में 'पति' की जगह 'पार्टनर' शब्द जोड़ा गया है.कोर्ट ने ये भी कहा कि महिला को इस क़ानून के तहत मिलने वाले लाभ से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वो शादीशुदा नहीं है.सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि असुरक्षित गर्भपात पर रोका जा सकता है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में हमारी समझ पर और विचार करना होगा. गर्भवती महिला के परिवेश का ध्यान रखना चाहिए. शादीशुदा महिलाएं भी पति की जोर-जबरदस्ती और रेप का शिकार हो सकती है. 

Advertisement

समलैंगिक विवाह पर आया था खास बयान

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह पर भी फैसला सुनाया था. उन्होंने उस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि LGBTQ+ लोगों के पास पार्टनर चुनने और साथ रहने का अधिकार है. सरकार को इन्हें दिए जाने वाले अधिकारों की पहचान करनी ही चाहिए, ताकि ये कपल बिना परेशानी रह सकें. ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं, जो दिखाए कि सिर्फ विषमलैंगिक (महिला-पुरुष) ही बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते हैं. आपको बता दें कि अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सेम सेक्स मैरिज पर अपना बड़ा फैसला सुनाया था. पांच जजों की पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सीमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Maharashtra Elections 2024: 'राहुल बाबा आपकी 4 चार पीढ़ी भी 370 वापस नहीं ला पाएंगी'
Topics mentioned in this article