कानूनी पेशे में चुनौतियों के संबंध में कानून के छात्रों को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पहली बार सार्वजनिक तौर अपनी दिवंगत पहली पत्नी का जिक्र किया. शीर्ष न्यायाधीश के करीबी सूत्रों ने कहा कि ये उनके भाषण का हिस्सा नहीं था, लेकिन उन्होंने आखिरी समय में फैसला किया कि यह अनुभव छात्रों के लिए किताबी ज्ञान से बेहतर है.
सीजेआई ने कहा, "मेरी दिवंगत पूर्व पत्नी, जो एक वकील थीं, जब वो एक लॉ फर्म में गईं, तो उन्होंने पूछा कि वर्क ऑवर क्या हैं, और उन्हें बताया गया कि यह 24x7 और 365 दिन हैं. उसके लिए कोई फैमिली टाइम नहीं होगा."
उन्होंने कहा, "जब उन्होंने पूछा कि फैमिली का क्या, तो उनसे कहा गया कि ऐसा पति ढूंढो जो घर का काम कर सके क्योंकि परिवार के लिए समय नहीं मिलने वाला है."
हालांकि, उन्होंने कहा कि वो आशावादी हैं कि चीजें अब बदल रही हैं. सीजेआई बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) के 31वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने लॉ फर्म और वकीलों के चैंबरों में बेहतर वर्क ऑवर और वर्क-लाइफ बैलेंस की आवश्यकता के बारे में बात की.
वर्कप्लेस को महिलाओं के लिए अधिक सुलभ और मैत्रीपूर्ण बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, सीजेआई चंद्रचूड़ ने ये भी बताया कि कैसे उनकी महिला कानून क्लर्कों को मासिक धर्म के दर्द से पीड़ित होने पर घर से काम करने के लिए कहा गया था.
सीजेआई ने कहा, "पिछले साल, पांच में से चार लॉ क्लर्क महिलाएं थीं. उनके लिए मुझे फोन करना और यह कहना आम बात है कि, 'सर मुझे पीरिएड क्रैंप्स आ रहे हैं.' मैं उनसे कहता था, 'कृपया घर से काम करें और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें.' उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम यह बातचीत करें. हम यह दिखावा नहीं कर सकते कि ये मुद्दे मौजूद ही नहीं हैं.''
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के शौचालयों में हाल ही में सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा, "अगर हमें अपने संस्थानों को समान अवसर वाले कार्यस्थल बनाना है, तो ये बातचीत होनी चाहिए."
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