NDA के साथ होकर भी NDA पर ये कैसा 'वार'! बढ़ते आपराधिक मामलों पर नीतीश सरकार को घेर रहे चिराग, समझें क्या हैं सियासी मायनें

राजनीतिक जानकार इसे चिराग पासवान की दबाव की राजनीति के रूप में देख रहे हैं. लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में एनडीए की सहयोगी दल है, जिसके 5 सांसद हैं और खुद चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं.

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  • बिहार में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर चिराग पासवान ने सरकार की कड़ी आलोचना की है.
  • चिराग पासवान ने आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार से चुनाव लड़ने की घोषणा की.
  • बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए की सहयोगी है.
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बिहार में ताबड़तोड़ हो रही आपराधिक घटनाओं से जहां एक और विपक्ष सरकार पर हमलावर है, वहीं, अब घटक दल के साथी भी सरकार और विधि व्यवस्था पर सवाल उठाने लगे हैं. खासकर एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान. चिराग लगातार सरकार पर कानून व्यवस्था एवं अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर आलोचना करते दिख रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से चिराग पासवान का रुख एक विपक्षी नेता के तौर पर ज्यादा और सहयोगी दल के नेता के तौर पर कम दिख रहा है. 

सीएम वाले पोस्टर ने मचा दिया था हल्ला

चिराग ने पहला धमाका तब किया, जब उन्होंने ये घोषणा की कि वो आने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार से चुनाव लड़ेंगे और उसके तुरंत बाद ही उनके पार्टी के नेताओं ने पटना शहर में पोस्टर लगा दिए, जिसमें चिराग पासवान को बिहार का भावी मुख्यमंत्री दिखाया जा रहा था. जाहिर था इससे जदयू असहज हुई, नीतीश कुमार असहज हुए और भाजपा भी चुप्पी साधे इस मुहिम को देखती रही. हालांकि, चिराग पासवान ने बाद में इस बाबत सफाई दी कि वो मुख्यमंत्री की रेस में खुद नहीं है और चुनाव के बाद नीतीश कुमार ही एनडीए के मुख्यमंत्री होंगे. साथ ही उन्होंने ये भी जोर दिया कि जहां तक उपमुख्यमंत्री का सवाल है, वो उनकी पार्टी का कोई कार्यकर्ता ही होगा.

आपराधिक घटनाओं पर नीतीश सरकार को लिया आड़े हाथ

इससे पहले मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और चिराग के चुनाव लड़ने के मुद्दे का बवंडर शांत होता, चिराग ने बिहार में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं एवं हत्याओं के ऊपर नीतीश सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया. उन्होंने सीधे तौर पर इसे कानून व्यवस्था की विफलता बताया और सरकार को ये नसीहत भी दे डाली कि चुनाव से ठीक पहले अगर कानून व्यवस्था की स्थिति ऐसी रहती है, यानि कानून व्यवस्था इतनी बिगड़ती है तो इसका खामियाजा पूरे एनडीए को चुनाव में भुगतना पड़ेगा.

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चिराग की नजर में हैं ज्यादा सीटें?

राजनीतिक जानकार इसे चिराग पासवान की दबाव की राजनीति के रूप में देख रहे हैं. लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में एनडीए की सहयोगी दल है, जिसके 5 सांसद हैं और खुद चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं. जहां तक विधानसभा की बात है चिराग पासवान लोजपा के लिए ज्यादा से ज्यादा सीट अपने पाले में चाहते हैं. इसी वजह से चिराग पासवान लगातार अपने वक्तव्यों से जदयू और नीतीश कुमार को असहज कर रहे हैं. 

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ये है बिहार में सीटों का समीकरण

जानकार बताते हैं कि 243 कुल सीटों में से भाजपा 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं, जदयू भी 100 सीटें अपने पाले में रख सकती है, और बाकी बची 43 सीटों में से 20 से 25 सीटें चिराग के पाले में जा सकती हैं. लगभग 10 सीटें जीतन राम मांझी की पार्टी को मिल सकती हैं. बाकी बची हुईं 6 से 7 सीटें उपेंद्र कुशवाहा को दी जा सकती हैं. 

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इस पूरी मुहिम के पीछे चिराग की कवायद ये है कि वो 25 नहीं बल्कि 30 से 40 सीट पर चुनाव लड़ें. यही वजह है कि उनके वक्तव्य लगातार भाजपा एवं जदयू को असहज कर रहे हैं. लेकिन क्या चिराग की ये दबाव वाली राजनीति काम करेगी? इसके बारे में तो सीटों की घोषणा के बाद ही पता चलेगा.

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