प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चीनी ऐप इन्वेस्टमेंट फ्रॉड मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली से रोहित विज नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि वह इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है. ईडी ने उसकी गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में उससे जुड़े पांच ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से कई अहम दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद किए गए हैं. ईडी ने ये जांच साल 2022 में हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज एक FIR के आधार पर शुरू की थी. FIR में आरोप था कि कुछ चीनी नागरिकों ने भारतीयों के साथ मिलकर ‘LOXAM' नाम की एक फर्जी इन्वेस्टमेंट ऐप के ज़रिए लोगों से करोड़ों की ठगी की. ऐप का नाम जानबूझकर एक मशहूर फ्रेंच कंपनी से मिलता-जुलता रखा गया था, ताकि लोगों को भरोसा हो जाए.
ईडी की जांच में सामने आया कि ठगी से इकट्ठा की गई रकम सबसे पहले एक शेल कंपनी ज़िंदाई टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड के खाते में जमा कराई गई, जिसे एक भारतीय के नाम पर सिर्फ कागज़ों पर बनाया गया था. इस कंपनी को ऑपरेट करने के पीछे एक चीनी नागरिक 'Mr. Jack' था, जिसने इंटरनेट बैंकिंग की जानकारी लेकर 38 फर्जी खातों (म्यूल अकाउंट्स) में पैसे ट्रांसफर किए.
इसके बाद रोहित विज और उसके साथियों ने इन पैसों को रंजन मनीकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड और केडीएस फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी शेल मनी चेंजर कंपनियों के ज़रिए विदेशी करेंसी में बदला खास तौर पर अमेरिकी डॉलर और यूएई दिरहम में.
जांच में पता चला कि रोहित विज और उसके नेटवर्क ने ये सारा पैसा हवाला के ज़रिए चीन में बैठे फ्रॉड के मास्टरमाइंड्स तक पहुंचाया. सिर्फ ज़िंदाई टेक्नोलॉजीज़ के ज़रिए 171.47 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई, जिसे विदेशी करेंसी में बदला गया, लेकिन जब ईडी ने रंजन मनीकॉर्प और केडीएस फॉरेक्स के बैंक खातों की गहराई से जांच की, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. सिर्फ 7 महीनों में इन कंपनियों ने करीब 903 करोड़ रुपये के ऐसे ही संदिग्ध लेनदेन किए थे.
ईडी ने 30 जून 2025 को रोहित विज को गिरफ्तार किया और उसे दिल्ली की पीएमएलए कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 5 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया है. माना जा रहा है कि पूछताछ में इस पूरे नेटवर्क के और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं. ईडी की जांच अभी जारी है और कई और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है.