बांग्लादेश (Bangladesh) और चीन (China) के रिश्तों में काफी समय से तल्खी नजर आ रही थी. शेख हसीना (Sheikh Hasina) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और उनके प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को इस तल्खी से जोड़कर देखा जा रहा है. चीन दौरे के दौरान शेख हसीना को उचित सम्मान नहीं मिला था और वक्त से पहले ही वह अपना दौरा खत्म कर वापस अपने देश लौट गईं थीं. अब सवाल उठ रहा है कि कट्टरपंथियों को ट्रेनिंग और फंडिंग के पीछे क्या चीन का हाथ है? साथ ही यह भी सवाल भी पूछा जा रहा है कि भारत को घेरने के लिए चीन और पाकिस्तान की क्या यह कोई मिलजुली साजिश है.
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शेख हसीना ने चीन का दौरा किया था और उस वक्त चीन के राष्ट्रपति ने उनसे मुलाकात नहीं की थी. तीस्ता प्रोजेक्ट पर बांग्लादेश के रवैये से भी चीन काफी नाराज था. शेख हसीना चाहती था कि यह प्रोजेक्ट भारत पूरा करे. वहीं बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट को लेकर पाकिस्तान के उच्चायोग की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. साथ ही उस पर बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया जा रहा है. कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी से पाकिस्तान की करीबी किसी से छिपी नहीं है.
अमेरिका, चीन और पाकिस्तान थे खिलाफ
सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि अमेरिका और चीन काफी समय से शेख हसीना के खिलाफ थे. वहीं पाकिस्तान हमेशा से ही शेख हसीना के खिलाफ रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले साल बाइडेन प्रशासन ने हसीना सरकार के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे, उससे साफ जाहिर था कि अमेरिका नहीं चाहता था कि हसीना सरकार सत्ता में रहे. वहीं चीन भी कुछ महीनों से शेख हसीना से नाराज था. चीन के दौरे से वापस आने के बाद शेख हसीना ने सार्वजनिक रूप से कहा कि तीस्ता परियोजना को लेकर चीन तैयार है, लेकिन वह इसे भारत को देंगी क्योंकि भारत की कुछ सुरक्षा चिंताए हैं, जिससे चीन और भी नाराज हो गया था.
सेना की कार्यप्रणाली पर चेलानी ने उठाए सवाल
चेलानी ने बांग्लादेश की सेना पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जब बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो उठे तब सेना की जिम्मेदारी थी कि वो इन हमलों को नियंत्रित करें लेकिन वो चुपचाप देख रहे थे. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सेना ने जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा की, जिससे उन्हें बांग्लादेश से निकलना पड़ा.
चेलानी ने कहा कि भूटान को छोड़कर भारत के चारों तरफ जितने भी देश हैं, वो सभी अस्थिर हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो भी हुआ है वो भारत के लिए बड़ा झटका है. उन्होंने कहा कि इसका असर भारत पर कई सालों तक पड़ेगा.
तख्तापलट के पीछे कुछ और ताकतें शामिल : हुसैन
आईसीडब्ल्यू के पूर्व रिसर्च फेलो डॉ. जाकिर हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश की आज जो तस्वीरें आ रही हैं, उनसे लगता है कि वहां पर कुछ हुआ ही नहीं है. उन्होंने कहा कि कोई भी क्रांति इतनी आसानी से ठंडी नहीं होती है. उन्होंने कहा कि आर्मी ने बिना रक्त बहाए तख्तापलट किया है.
हुसैन ने कहा कि इसके पीछे कुछ और ताकतें शामिल हैं, यह निश्चित है. उन्होंने कहा कि सेना कहीं न कहीं मिली हुई है. वहां पर चीन का बढ़ता हुआ निवेश है और पाकिस्तान की भूमिका से भी हम इनकार नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि चीन ने बांग्लादेश में अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश की थी. हालांकि शेख हसीना के शासनकाल में उसे यह कहीं न कहीं ढहता लग रहा था, जिसके कारण यह एक्शन लिया गया है.
ऐसा माहौल नहीं चाहते थे बांग्लादेश के लोग : कादिर
बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार नादिम कादिर ने कहा कि बांग्लादेश के लोग ऐसा माहौल नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि हिंदुओं के घरों और मंदिरों में घुसकर के हमला किया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ बांग्लादेश में कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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