इस वजह से दो हफ्ते बाद विश्वास मत साबित करना चाहते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

योजना ये है कि 25 अगस्त को नीतीश कुमार के विश्वास मत का सामना करने से पहले, विजय सिन्हा को अविश्वास मत में हटा दिया जाए, और सत्र के पहले दिन एक नया अध्यक्ष चुना जाए.

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पटना:

नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की नई शपथ लेने के बाद बिहार विधानसभा का पहला सत्र 24 अगस्त से शुरू होने जा रहा है. इस सत्र में महागठबंधन सरकार को बहुमत साबित करना है, लेकिन स्पीकर अभी भी नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी भाजपा से है. गठबंधन पहले इसे बदलना चाहता है, कागज पर बहुमत होने के बावजूद वो कुछ भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं है. तकनीकी रूप से, राज्यपाल सत्र बुलाते हैं, लेकिन उन्हें सरकार की सिफारिश के अनुसार कार्य करना होता है.

नए 'महागठबंधन' के 55 विधायकों ने स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. नियम कहते हैं कि इसे सदन में प्रस्तुत करने के दो सप्ताह बाद ही लिया जा सकता है. 24 अगस्त का मतलब है कि नियम कोई समस्या नहीं होगी.

महागठबंधन की नई सरकार को 164 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो 243 के सदन में जरूरी 122 से अधिक है.

लेकिन योजना ये है कि 25 अगस्त को नीतीश कुमार के विश्वास मत का सामना करने से पहले, विजय सिन्हा को अविश्वास मत में हटा दिया जाए, और सत्र के पहले दिन एक नया अध्यक्ष चुना जाए.

सूत्रों के मुताबिक विजय कुमार सिन्हा भाजपा नेतृत्व के आदेश पर स्पीकर के पद से इस्तीफा दे सकते हैं. इसका मतलब सिर्फ पद के लिए चुनाव होगा और 'चाचा-भतीजा' समझौते के तहत नया अध्यक्ष राजद से होना है.

नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन खत्म कर दिया. उन्हें लगा कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह महाराष्ट्र मॉडल को बिहार में दोहराने का प्रयास कर रहे हैं. जहां शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे द्वारा भाजपा समर्थित विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा दिया गया था. इसके बाद भाजपा ने शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया.

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