भारत के 53वें चीफ जस्टिस के शपथ ग्रहण समारोह में इन देशों के मुख्य न्यायधीश होंगे शामिल

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की नियुक्ति को 30 अक्टूबर को मंजूरी दे दी थी.

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  • भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को शपथ ग्रहण करेंगे.
  • शपथ ग्रहण समारोह में कई देशों के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे.
  • जस्टिस सूर्यकांत का प्राथमिक लक्ष्य देशभर की अदालतों में लंबित पांच करोड़ से अधिक मामलों का बोझ कम करना होगा.
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भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को शपथ ग्रहण करेंगे. उनके शपथ ग्रहण समारोह में भारत के गणमान्य हस्तियों के अलावा साथ अलग-अलग देश के सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल होंगे. नामित प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि देशभर की अदालतों में लंबित पांच करोड़ से अधिक मामलों का बोझ घटाना और विवाद समाधान के वैकल्पिक तरीके के रूप में “बेहद प्रभावी” मध्यस्थता को बढ़ावा देना न्यायपालिका प्रमुख के रूप में उनकी प्राथमिकता होगा.

जस्टिस सूर्यकांत की शपथ ग्रहण समारोह में ये शामिल होंगे

  • भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नॉर्बू शेरिंग
  • ब्राजील के मुख्य न्यायाधीश एडसन फाचिन
  • केन्या के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मार्था कूम और केन्या सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस सुसान नजोकी 
  • मलेशिया मलेशिया के संघीय न्यायालय के जज जस्टिस टैन श्री दातुक नालिनी पाथमनाथन
  • मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल
  • नेपाल के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत के साथ नेपाल सुप्रीम कोर्ट की जज सपना प्रधान मल्ला और नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अनिल कुमार सिन्हा
  • श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश पी. पद्मन सुरेसन के साथ श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. थुरैराजा, पीसी और जस्टिस ए एच एम डी नवाज शामिल होंगे

न्यायमूर्ति बीआर गवई रविवार (23 नवंबर) को पदमुक्त हो गए. भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश गवई ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, जिनमें वक्फ कानून के प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाना, न्यायाधिकरण सुधार कानून को रद्द करना और केंद्र को परियोजनाओं को बाद में हरित मंजूरी देने की अनुमति देना शामिल है. शुक्रवार का दिन प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई का अंतिम कार्य दिवस था. वह न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन के बाद भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश थे.

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