शायर बने CJI डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्णा मुरारी के विदाई समारोह में पढ़ा ये शेर

जस्टिस कृष्णा मुरारी 2019 में सुप्रीम कोर्ट जज बनाए गए थे. साढ़े 3 साल के कार्यकाल में उन्होंने 60 से ज्यादा फैसले सुनाए. 8 जुलाई 2023 को वे रिटायर हो गए.

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सीजेआई चंद्रचूड़ जस्टिस कृष्ण मुरारी की तारीफ में पढ़ा शेर.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्णा मुरारी का शुक्रवार को आखिरी काम का दिन था. 8 जुलाई 2023 को उनके लिए विदाई समारोह का आयोजन हुआ. समारोह में कभी भावुक पल आए, तो कभी हल्के फुल्के पल... इस बीच शेरो-शायरी का दौर भी खूब चला. प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने इलाहाबाद हाईकोर्ट के साथी जज जस्टिस कृष्ण मुरारी को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शेरो-शायरी से विदाई दी.

जस्टिस कृष्ण मुरारी के रिटायर होने के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से विदाई समारोह आयोजित किया गया था. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में सेरेमोनियल बेंच बैठी थी. इस मौके पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे जस्टिस मुरारी हमेशा शांत रहते हैं. केस की सुनवाई के दौरान उन्होंने कभी भी आपा नहीं खोया... जस्टिस मुरारी की भाषा में कानपुरी टच भी है.

सीजेआई ने खुलासा किया कि शिवसेना और दिल्ली सरकार के अधिकार के मामलों में पांच जजों के संविधान पीठ में शामिल जस्टिस मुरारी को पेपरलेस कोर्ट होने के कारण शुरुआत में दिक्कत हुई. वो आईपैड और लेपटॉप चलाने में थोड़ा हिचक रहे थे. लेकिन फिर जस्टिस नरसिम्हा ने उनकी मदद की. इसके बाद वो आराम से इस्तेमाल करने लगे. 

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस दौरान बशीर बद्र का एक शेर पढ़ा- "मुसाफ़िर हैं हम भी, मुसाफ़िर हो तुम भी. किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी". CJI ने एक और शेर पढ़कर अपनी बात खत्म की- "आपके साथ कुछ लम्हे कई यादें बतौर इनाम मिले, 
एक सफर पर निकले और तजुर्बे तमाम मिले". 

इसके बाद जस्टिस कृष्ण मुरारी ने अपनी बात रखनी शुरू की. जस्टिस मुरारी ने कहा, "मैं भाग्यशाली हूं कि डीवाई चंद्रचूड़ दो बार मेरे मुख्य न्यायाधीश रहे, एक बार इलाहाबाद में और अब यहां. मैं मेरे और अन्य भाई-बहन न्यायाधीशों के प्रति उनकी उदारता के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं. जस्टिस मुरारी ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने न्यायिक क्लर्कों से आईपैड के लिए मदद मांगी और तब सब पूछते रहे जब तक वो सीख नहीं गए. उन्होंने कहा, " मैं CJI को यह अवसर देने और तकनीक के साथ काम करने के लिए धन्यवाद देता हूं, जिसके बिना इन दिनों काम करना मुश्किल है". 

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जस्टिस मुरारी ने कहा कि यह न्यायालय न केवल संवैधानिक विचारों का संरक्षक है, बल्कि उन संवैधानिक लक्ष्यों का भी संरक्षक है, जिनके लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी. यह न्यायालय न केवल बहुसांस्कृतिक लोकाचार का रक्षक है. यह न्यायालय विविधता का प्रतीक है. इस न्यायालय में कई भौगोलिक क्षेत्रों के लोग शामिल हैं. जो सभी धर्म, जाति, पंथ और देश की बहुलता और सच्चे सार को दर्शाते हैं. 

जस्टिस मुरारी ने शेर पढ़ा, "क़दम उठे भी नहीं और सफ़र तमाम हुआ. ग़ज़ब है राह का इतना भी मुख़्तसर होना." उन्होंने कहा कि उनके लिए ये एक भावुक क्षण है. साथ ही मुश्किल भी. सभी को शुक्रिया कहते हुए उन्होंने आखिर में शेर पढ़ा-"दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं, ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं." 

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इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों के अलावा अटार्नी जनरल आर वेकेंटरमनी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अलावा अन्य लोग भी उपस्थित थे.

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