छिंदवाड़ा के जानलेवा सिरप की कहां तक पहुंची जांच? केंद्रीय मंत्री ने संसद में दी जानकारी

छिंदवाड़ा कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले की जांच से जुड़ी कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी के सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्य सभा में इसकी जानकारी दी.

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छिंदवाड़ा कफ सिरप मामले की जांच की जानकारी केंद्रीय मंत्री ने संसद में दी है.
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  • MP के छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की जांच टीम भेजी थी.
  • जांच में बच्चों द्वारा ली गई 19 दवाइयों में से 4 दवाएं खराब गुणवत्ता वाली पाई गईं थीं.
  • जानलेवा कफ सिरप Coldrif की निर्माण कंपनी तमिलनाडु के कांचीपुरम की Sresan Pharmaceuticals थी.
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नई दिल्ली:

Cough syrup Child Death Case: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कुछ महीनों पहले कई बच्चों की मौत कफ सिरप से हो गई थी. जानलेवा कफ सिरप का प्रकोप राजस्थान में देखने को मिला था. एक के बाद एक कई बच्चों की मौत के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों आया. फिर जांच हुई तो पता चला कि कफ सिरप Coldrif में Diethylene Glycol की मात्रा अधिक थी. जो जानलेवा होती है. अब सवाल कई बच्चों की जान लेने वाली कफ सिरप मामले की जांच कहां तक पहुंची. बुधवार को कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी के सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्य सभा में इसकी जानकारी दी.

केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत की घटनाओं की खबर मिलने पर केंद्र सरकार ने तुरंत विशेषज्ञों की एक टीम भेजी. इसमें NCDC, NIV और CDSCO के विशेषज्ञ शामिल थे, जैसे- महामारी विशेषज्ञ, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, एनटोमोलॉजिस्ट और ड्रग इंस्पेक्टर.

बच्चों ने जिन 19 दवाइयां खाई, उसमें 4 में खराब गुणवत्ता

मंत्री ने आगे बताया कि टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर में जाकर मामले की विस्तृत जांच की और राज्य सरकार के साथ मिलकर सभी तथ्यों की समीक्षा की. जांच के दौरान बच्चों द्वारा खाए गए 19 दवाइयों के सैंपल लिए गए. इनमें से 15 दवाएं सही गुणवत्ता की थीं, 4 दवाएं खराब गुणवत्ता वाली पाई गईं.

तमिलनाडू के कांचीपुरम में बनी थी जानलेवा कफ सिरप

‘Syrup Coldrif' (Batch No. SR-13), जिसे मृत बच्चों ने लिया था, में Diethylene Glycol (DEG) की मात्रा 46.28% w/v पाई गई. जो बेहद खतरनाक और जानलेवा है. यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित M/s Sresan Pharmaceuticals ने बनाया था.

कंपनी की जांच में भी मिली कई खामियां

कंपनी के प्लांट की जांच में कई गंभीर खामियाँ और GMP के बड़े उल्लंघन मिले. जैसे- बेहद गंदी और खराब स्टोरेज की स्थिति. कार्रवाई के तौर पर सीडीएससीओ ने तमिलनाडु सरकार से क्रिमिनल एक्शन शुरू करने को कहा. तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर ने कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर दिया.

FIR दर्ज कर दोषियों की हुई गिरफ्तारी

मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और पुडुचेरी ने इस बैच की तुरंत बिक्री रोक दी और रिकॉल आदेश दिया. मध्य प्रदेश में एफआईआर दर्ज हुई और दोषियों की गिरफ्तारी हुई. 3 अक्टूबर 2025 को सभी राज्यों और अस्पतालों को बच्चों में कफ सिरप के विवेकपूर्ण उपयोग (रैशनल यूज़) का निर्देश दिया गया.

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7 अक्टूबर और 27 अक्टूबर 2025 को राज्यों के ड्रग कंट्रोलरों को निर्देश दिए गए. दवाईयों की टेस्टिंग सख्ती से नियमों के अनुसार हो. घटिया और नकली दवाइयों पर कड़ी नजर रखी जाए और तुरंत कार्रवाई की जाए.

देश भर में कफ सिरप बनाने वाली 700 से अधिक कंपनियों का ऑडिट

देश भर में 700 से ज्यादा कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों का ऑडिट किया गया है. बाजार से सिरप दवाओं के सैंपल की जांच भी बढ़ा दी गई है. इसके अलावा, भारतीय फार्माकोपिया 2022 में संशोधन करके अब हर सिरप को बाज़ार में भेजने से पहले DEG और Ethylene Glycol की टेस्टिंग अनिवार्य कर दी गई है.

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