अधर में अटका मक्का प्रोसेसिंग प्लांट, बेरोजगार बैठे हैं शेयर होल्डर किसान

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में बड़े जोर-शोर से सरकार ने मक्का प्रोसेसिंग प्लांट की आधारशिला रखी थी. कहा था कि इस प्लांट से इलाके की तस्वीर और तकदीर बदल जाएगी. लेकिन तीन साल बाद भी ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है.

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फरवरी 2019 में राहुल गांधी ने किया था प्लांट का शिलान्यास
कोंडागांव:

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में बड़े जोर-शोर से सरकार ने मक्का प्रोसेसिंग प्लांट की आधारशिला रखी थी. कहा था कि ये प्लांट इलाके की तस्वीर और तकदीर बदल देगा. लेकिन तीन साल बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है. किसान अपने पैसे फंसा कर परेशान हैं. वहीं किसानों को हिस्सेदार बनाने के 3 साल बाद अब प्रशासन को पता लगा कि एमएसपी पर मक्का खरीद कर स्टार्च प्लांट बनाना नुकसान का सौदा है, तो अब बॉयो फ्यूल के लिए इथेनॉल प्लांट बनाने की योजना है.  

छत्तीसगढ़ अगर धान का कटोरा है, तो कोंडागांव ज़िला मक्के का. यहां रबी और खरीफ दोनों में ही लगभग हजारों मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन होता है. लेकिन 1870 रुपये एमएसपी का मक्का व्यापारी 1300 तक खरीद लेते थे. सरकार का दावा था कि किसानों को फायदा दिलाने के लिए कोंडागांव में वो मां दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण और विपणन यूनिट बनाना चाहती थी. अब तय हुआ है कि वहां मक्का आधारित 80 केएलपीडी क्षमता का एनॉल संयंत्र बनेगा. जिसका खर्च लगभग 137.89 करोड़ रुपये का होगा. हर साल 63600 मीट्रिक टन मक्के का उपयोग इथेनॉल बनाने में किया जाएगा.
जिससे आनेवाले पांच सालों में किसानों को लगभग 85 करोड़ का फायदा मिलेगा. 65000 किसानों को इसका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष फायदा मिलेगा.

फरवरी 2019 में राहुल गांधी ने प्लांट का शिलान्यास किया. लेकिन प्लान बदलने से अबतक संंयंत्र के लिए पैसा और जमीन देने वाले किसान इंतज़ार ही कर रहे हैं.प्रेम शंकर नेताम अपनी जमीन पर उरद, धान, मक्का बोते थे. कहते हैं जमीन ले ली न मुआवजा मिला न फैक्ट्री शुरू हुई. बोला था मक्का बेचोगे, फैक्ट्री बनेगी खरीदी होगी. मैं जमीन लेना चाहता हूं, मुआवजा होना चाहिए, नौकरी चाहिए. स्थानीय युवक गुस्से में हैं. वहीं सरपंच भी परेशान हैं. कहते हैं लगभग 48000 किसानों ने पैसे जमा किए अब सवाल पूछ रहे हैं. कहते हैं फैक्ट्री नहीं बनी तो विरोध करेंगे.

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स्थानीय युवक अब्दुल कुमार नेताम गुस्से में कहते हैं बड़े-बड़े अधिकारी आए थे. पहले गाड़ी में आए थे.. अब मोटरसाइकिल भी नहीं आता है. हमकों बोलते थे कि आप लोगों को कहीं जाना नहीं पड़ेगा. यहां न रोजगार मिलता न कुछ. हम खाली घूम रहे हैं. सरपंच के पति सुंदर लाल नेता कहते हैं, गांव वाले बोलते हैं. अपना पैसा कहां गया 48000 किसानों ने पैसा दिया. कोई 50000 रुपये, कोई 1100, बोला था 3000 रुपये क्विंटल मक्का बिकेगा. काम बंद है इतने दिनों से 2 साल से कोई काम नहीं चल रहा है. बोल रहे हैं पैसा खत्म हो गया. लोग हमपर गुस्सा कर रहे हैं.

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वहीं प्रशासन का कहना है कि काम रूका नहीं है. बस ये तय हुआ है कि स्टॉर्च प्लांट फायदेमंद नहीं रहेगा तो इथेनॉल प्लांट बनाया जाएगा. 8 महीने में काम पूरा होने का आश्वासन है. कोंडागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने कहा हम कॉपरेटिव सोसायटी के तहत मक्का एमएसपी पर खरीदते. जहां मक्का 1870 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदना पड़ता है. जबकि प्राइवेट प्लेयर्स 1100-1200 रुपये प्रति क्विंटल में खरीद रहे हैं. उनके साथ कंपीट करना मुश्किल है. फिजिबिलटी स्टडी देखा तो पता लगा प्लांट नुकसान में रहेगा स्टेट की प्रोजेक्ट फाइनेंस कमेटी ने अप्रूव किया है. स्टार्च की जगह इथेनॉल प्लांट बनेगा. 8 महीने में काम पूरा हो जाएगा.

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प्लांट अधूरा है लेकिन सियासत पूरी हो रही है, बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री लता उसेंडी कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को घेरने की कोशिश में कहती हैं, लोग इंतजार कर रहे हैं, वहां बाउंड्री बनी है मोहन मरकाम ने अपने चहेते लोगों को देकर बाउंड्री बनवा दी जबकि किसान भटक रहे हैं उनको तीन साल बाद पता लगा कि वहां इथेनॉल प्लांट बनाना चाहिये. वहीं प्रदेश कांग्रेस सचिव मनीष श्रीवास्तव कहते हैं बीजेपी का काम है विरोध करना, उन्होंने 15 साल में कुछ नहीं किया, प्लांट बनेगा हर हाल में बनेगा कांग्रेस के शासन काल में ही बनेगा.

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सरकारी दावा है कि राज्य में मक्के का रकबा 10 गुना तक बढ़ गया है, बस्तर का मक्का दुनियां के कई देशों में जा रहा है लेकिन आपने सुना कि प्रशासन ही कैसे एमएसपी पर नफा-नुकसान की गणित में उलझा है. किसान शेयर होल्डर बन गये लेकिन उन्हें ही नहीं पता जिस संयंत्र का सपना था उसके मायने ही बदल गए.

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