गोधन न्याय योजना में विपक्ष ने लगाया भेदभाव का आरोप, उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की

छत्तीसगढ़ में 99.84 लाख गोवंश हैं, सुराजी गांव योजना के तहत आवारा घूमने वाले मवेशियों के लिये गौठान बनाये गये. इसके तहत 2 रुपये में पशुपालकों से गोबर खरीदा जा रहा है. इसी गौठान में मिले गोबर से गांव में स्वसहायता समूह की महिलाएं 10 रुपये प्रति किलो में जैविक खाद और दूसरे उत्पाद बना कर बेचती हैं.

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छत्तीसगढ़ सरकार ने 20 जुलाई 2020 से 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत की, ऐलान हुआ कि दो रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से ग्रामीणों से गोबर खरीदा जाएगा. ये खबर अखबारों में सुर्खियों में रही, कई राज्यों ने भी इस योजना को अपनाने की बात कही. गोधन न्याय योजना में 5 करोड़ 24 लाख रुपये का भुगतान किया गया है, लेकिन अब इसी गोधन न्याय योजना में अन्याय और भेदभाव के आरोप लग रहे हैं,  विधानसभा में सरकार ने जो आंकड़े पेश किये हैं वही बता रहे हैं कि कैसे किसान इससे दूर हो रहे हैं. उन्होंने उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है.

छत्तीसगढ़ में 99.84 लाख गोवंश हैं, सुराजी गांव योजना के तहत आवारा घूमने वाले मवेशियों के लिये गौठान बनाये गये. इसके तहत 2 रुपये में पशुपालकों से गोबर खरीदा जा रहा है. इसी गौठान में मिले गोबर से गांव में स्वसहायता समूह की महिलाएं 10 रुपये प्रति किलो में जैविक खाद और दूसरे उत्पाद बना कर बेचती हैं.

योजना इतनी कामयाब हुई कि कोरबा में चोरों ने 30 क्विंटल गोबर पर हाथ साफ कर दिया. ऐसा सरकार ने विधासनभा में खुद माना. सरकार ने विधानसभा के पटल पर एक और बात रखी, जिससे सुर्खियों में आई इस योजना की कामयाबी पर सवाल हैं.


20 जुलाई 2020 में जब यह योजना शुरू हुई थी. तब गोबर ख़रीदने के केंद्र भी गिने-चुने थे, फिर भी 31 मार्च 2021 हर दिन औसतन 18 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी हुई. लेकिन अगले ही साल यानी मार्च 2022 तक हर दिन औसतन 5 हजार क्विंटल गोबर की ही ख़रीद हुई. यही नहीं गरियाबंद, मुंगेली, बलौदाबाज़ार,कांकेर जैसे जिले में गोबर खरीद से ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल वर्मी कंपोस्ट बनाने में हुआ गया.

सूरजपुर ज़िले में तो 22230 क्विंटल गोबर की खरीद हुई, लेकिन खाद बनाने 69484 क्विंटल गोबर का उपयोग हो गया. सरकार का दावा है योजना से 2 लाख 89 हज़ार से अधिक ग्रामीण जुड़े हैं, गोबर से जुड़े उत्पाद 11,187 महिला स्वसहायता समूह बना रहे हैं जिससे 83,874 महिलाओं को सीधा फायदा हो रहा है. 

बचाव में सरकार की अपनी दलील है, विपक्ष को योजना में भ्रष्टाचार दिख रहा है और पूंजीपतियों का फायदा. पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता केदार कश्यप ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत रोज़ 18000 मीट्रिक टन गोबर खरीदा. उसमें से आधे से ज्यादा गोबर बह गया. 

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वहीं, कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने पलटवार करते हुए कहा ये आरोप बिल्कुल असत्य है, इस तरह की बात नहीं होनी चाहिये. आप बताओ कि कहां भ्रष्टाचार हुआ. इस तरह की जानकारी आएगी तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी. वैसे एक उदाहरण हम बता देते हैं बस्तर में कांकेर जिले के दुर्गुकांदल गांव में गोठान का बोर्ड लगा है, समिति बनी है लेकिन ना तो गोबर खरीदा जाता है, ना ही गोवंश की देखभाल होती है उल्टा ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी जमीन गोठान के नाम पर कब्जा ली गई है. 

गोठान के पास गाय चरा रहे, मंगिया राम ने कहा यहां से आजतक गोबर नहीं खरीदा, कोई गोठान नहीं बना ना गाय को पानी पिलाते हैं ना चारा का इंतज़ाम है. वहीं, दूसरी ग्रामीण मिसरी राम ने भी कहा कि उनसे ना तो कोई गोबर खरीदा गया ना ही पशुओं के लिये कोई सुविधा आई उल्टा आरोप लगाया कि उनकी 2 एकड़ जमीन गोठान के नाम पर कब्जा ली गई. वैसे सरकार दीपावली से पहले किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और गोबर विक्रेताओं को लगभग 180 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान कर रही है.

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