छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद जिले के पाण्डुका वन क्षेत्र के साथ ही जिले के दूरस्थ जंगलों में अब हाथियों का स्थाई ठिकाना बन चुका है. पिछले चार पांच सालों से हाथियों का पड़ोसी राज्यों ओडिशा एव झारखंड से महासमुंद के रास्ते गरियाबंद में लगातार आना जारी है. हाथियों के द्वारा अब तक अनेकों बार वन क्षेत्र में निवास करने वाले नागरिकों पर हमला कर उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया है.
हाथी किसानों की धान की फसलों को भी लगातार बर्बाद कर रहे हैं. ये सिलसिला लगभग पिछले चार-पांच सालों से लगातार जारी है. आपको बता दें कि आज फिर गरियाबंद जिले के पाण्डुका वन परिक्षेत्र में फिर तीन हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है, जिसने आज तड़के लगभग 1 बजे तौरेंगा के किसान का खलिहान में काट कर रखी हुई धान की फसल के 40 कट्टों को नष्ट कर उन्हें पैरों तले रौंद दिया और कुछ धान को खा भी गए गए.
हाथियों के दल ने उत्पात मचाते हुए रखी हुई कटी धान की फसल को इधर-उधर बिखेर दिया. इस घटना के बाद आज तौरेंगा गांव के आसपास के गांवों के किसानों में दहशत साफ देखी जा रही है. वे हाथियों की दहशत के कारण खेतों की ओर भी नहीं जा रहे हैं.
इस वक्त किसानों की रबी की फसल कटाई के लिए तैयार है. कुछ किसानों के द्वारा फसल को काट करके खलिहानों में लाया जा रहा है. हाथियों के लगातार इसी क्षेत्र में विचरण से किसानों एवं नागरिकों में बेहद दहशत देखी जा रही है.वहीं वन विभाग द्वारा सालों से घने जगंलों में बसे गांवों में मुनादी करा तो दी गई है, लेकिन हाथियों के आने पर किसी प्रकार से वन विभाग को सफलता आज तक नहीं मिली है.