छत्‍तीसगढ़ के CM ने बीजेपी शासन काल के दौरान ₹ 6,500 करोड़ के घोटाले का लगाया आरोप, जांच की मांग

छत्तीसगढ़ में आईएएस अधिकारी और कारोबारियों पर ED की कार्रवाई के बीच सीएम भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय को दो पत्र लिखा है.

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रायपुर:

छत्तीसगढ़ में आईएएस अधिकारी और कारोबारियों पर ED की कार्रवाई के बीच सीएम भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय को दो पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक पत्र नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले और दूसरा चिटफंड घोटाले को लेकर लिखा है. सीएम बघेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा की पहला पत्र नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले से जुड़ा है. अभी प्रधानमंत्री जी से कहा कि कोई भी राजनीतिक दल का हो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. मैंने ईडी को आज पत्र लिखा है. कि नागरिक आपूर्ति निगम  घोटाले में पूर्व सीएम मैडम, सीएम सर सबके नाम आए हुए हैं.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय जांच अधिकारियों ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि पैसा उस डोमेन में गया है, जहां हम जा नहीं सकते, जांच नहीं कर सकते. बहुत सारे मीडिया हाउस के पास उसकी क्लिपिंग होगी. दूसरा पत्र चिटफंड कंपनी को लेकर लिखा है. चिटफंड कंपनी का रोजगार मेला आयोजित किया गया था. उसके माध्यम से बहुत सारे निवेशक एजेंट को नियुक्ति पत्र दिया गया था . जो  सत्ताधारी और संवैधानिक पदों में बैठे जिम्मेदारों द्वारा दिया गया था साढ़े 6000 करोड़ का घोटाला है, जिसका निवेश दूसरे जगह किया गया. मनी लॉंड्रिंग की गई है. यह दोनों जांच के लिए मैंने ईडी को लिखा है.

बघेल ने ईडी निदेशक को लिखे पत्र  में लिखा है ''आपको यह विदित है कि छत्तीसगढ़ में 2015 में एसीबी अधिकारियों द्वारा राज्य नागरिक अपूर्ति निगम, रायपुर के कार्यालय और अनेक अधिकारियों के घरों में छापेमारी कर करोड़ों की नकद रकम तथा अनुपातहीन संपत्ति के दस्तावेज जब्त किये गये थे. प्रकरण में 28 आरोपियों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया था. लेकिन बाद में आश्चर्यजनक ढंग से उन 28 आरोपियों में से 16 को क्लीन चिट देते हुए रायपुर के विशेष न्यायालय में चालान पेश कर दिया गया.'

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''पूरे देश में राज्य के इस घोटाले की गूंज सुनाई दी थी. लेकिन आश्चर्य की बात है कि 'छोटे-छोटे प्रकरणों' में प्रकरण दर्ज कर त्वरित कार्यवाही करने वाली ईडी ने इस प्रकरण की जांच के लिए कोई पहल नहीं की. छत्तीसगढ़ का बच्चा-बच्चा जानता है कि रमन सिंह ने धनबल पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इस बात के लिये राजी कर लिया कि ईडी द्वारा न तो प्रकरण दर्ज किया जाए और न ही किसी प्रकार की जांच आदि हो. आज भी राज्य की पूरी जनता 'नान घोटाले' के असली दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की अपेक्षा कर रही है.''
 

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