'मेरी कलम कभी खामोश नहीं हो सकती...': मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर बोलीं पत्रकार राणा अय्यूब

ईडी ने कहा कि अय्यूब ने असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य, कोविड से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों,  झुग्गीवासियों और किसानों की मदद करने के नाम पर धन जुटाया था.

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पत्रकार राणा अय्यूब के ₹1.77 करोड़ रुपयों को प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी में फ्रीज कर दिया था.
नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय ने सोशल वर्क और कोविड रिलीफ के लिए लोगों से इकट्ठा किए गए पैसों के कथित तौर पर मनी लॉड्रिंग से जुड़े होने के दायर आरोप पत्र में नरेंद्र मोदी सरकार की घोर आलोचक पत्रकार राणा अय्यूब का नाम भी रखा है. एक कार्यक्रम को लेकर अमेरिका गई पत्रकार राणा अय्यूब ने वहीं से ट्वीट किया, "मेरी कलम को कभी चुप नहीं कराया जा सकता."

अय्यूब ने कहा, "मेरी कलम कभी खामोश नहीं हो सकती. विडंबना यह है कि मैंने कल ही अमेरिका में, भारत में स्वतंत्र प्रेस पर हमले को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया. मैं देश में हाशिए के लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखूंगी. मुझे बस इतना ही कहना है."

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि राणा अय्यूब ने पहले COVID-19 लॉकडाउन शुरू होने के एक महीने बाद अप्रैल 2020 में क्राउडफंडिंग वेबसाइट केटो पर तीन अभियान चलाए और लगभग ₹2.69 करोड़ रुपये इकट्ठा किए.

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जांच एजेंसी ने कहा कि अय्यूब ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, या एफसीआरए के प्राधिकरण के साथ पंजीकरण किए बिना विदेशों से पैसा हासिल किया, जो भारत के प्रहरी के साथ-साथ देश के बाहर से आने वाले दान के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक नियम पुस्तिका के रूप में कार्य करता है.

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प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि दान अय्यूब के पिता और बहन के बैंक खातों में डाला गया था, और बाद में उनके व्यक्तिगत खातों में स्थानांतरित कर दिया गया. ईडी ने कहा कि उसने ₹50 लाख की सावधि जमा की और ₹50 लाख एक नए खाते में भेजे. ईडी ने कहा, केवल ₹29 लाख का उपयोग सामाजिक कल्याण कार्यों के लिए किया गया. ईडी ने आरोप लगाया कि अय्यूब ने इन फंडों को अनटेंटेड रूप में दिखानो की कोशिश की, क्योंकि उन्होंने उसे जनता से प्राप्त किया था, लेकिन उनका इरादा सावधि जमा बनाना और अपना खुद का बैंक बैलेंस बढ़ाना था.

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ईडी ने कहा कि अय्यूब ने असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य, कोविड से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों,  झुग्गीवासियों और किसानों की मदद करने के नाम पर धन जुटाया था. ईडी ने कहा कि जब इस साल फरवरी में अय्यूब की संपत्ति जब्त की गई तो पता चला कि उन्होंने पीएम केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में कुल 74.50 लाख जमा किए थे.

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सत्तारूढ़ भाजपा की मुखर आलोचक अय्यूब ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को उनके खिलाफ बदनाम करने का अभियान बताया. अय्यूब ने कहा, "यह प्रासंगिक है कि मुझे या दो नामित बैंक खातों द्वारा कोई विदेशी दान प्राप्त नहीं हुआ था, क्योंकि सभी दान पहले केटो के बैंक खाते में प्राप्त हुए थे, जो भारतीय मुद्रा में नामित खातों में राहत अभियान के लिए राशि भेजेंगे. मेरे निर्देश केटो के लिए थे कि विदेशी मुद्रा में प्राप्त कोई भी पैसा, दाता को वापस कर दिया जाना चाहिए और राहत कार्य केवल घरेलू योगदान के साथ किया गया था."

अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला पहली सूचना रिपोर्ट यानि एफआईआर पर आधारित है, जिसे सितंबर में उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने हिंदू आईटी सेल नामक एक एनजीओ के संस्थापक और गाजियाबाद के इंदिरापुरम के निवासी विकास सांकृत्यायन द्वारा दायर किया गया था.

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