छांगुर बाबा के गुर्गों का धर्म परिवर्तन साबित करने वाला ये सर्टिफिकेट क्यों है इतना खास, पढ़ें इससे जुड़ी हर जानकारी

सर्टिफिकेट ऑफ इंबेरिस इस्लाम एक इस्लाम में धर्मांतरण का सर्टिफिकेट होता है, जिसे अक्सर शाहदा सर्टिफिकेट भी कहा जाता है. इस सर्टिफिकेट से पता चलता है कि उस व्यक्ति ने इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लिया है.

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  • जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के अवैध धर्मांतरण रैकेट की जांच में पता चला कि उसके गुर्गों ने दुबई जाकर इस्लाम स्वीकार किया था.
  • नीतू, नवीन और उनकी बेटी ने दुबई में नाम बदलकर नसरीन, जमालुद्दीन और सबीहा रखे और यूएई से शाहदा सर्टिफिकेट प्राप्त किया.
  • सर्टिफिकेट ऑफ इंबेरिस इस्लाम इस्लाम धर्म में धर्मांतरण का आधिकारिक दस्तावेज है, जिसे मस्जिद में मौलवी और गवाहों के सामने पढ़ा जाता है.
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जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. बाबा पर अवैध धर्मांतरण रैकेट के मामले में जांच चल रही है. इसी जांच में पता चला है कि छागुंर बाबा के गुर्गों में शामिल नीतू, नवीन और उनकी बेटी समाले ने दुबई जाकर इस्लाम अपना लिया था. इन तीनों ने नाम बदलकर नसरीन, जमालुद्दीन और सबीहा रखा. यूपी की एटीएस को उनके पास से दुबई सरकार का इंबेरिस इस्लाम का सर्टिफिकेट मिला है. हम आपको बताते हैं कि ये सर्टिफिकेट क्या होता है? आखिर ये क्यों जरूरी है? साथ ही इसका क्या महत्व है?

क्या है सर्टिफिकेट ऑफ इंबेरिस इस्लाम (शाहदा)

सर्टिफिकेट ऑफ एंब्रेसिंग इस्लाम (certificate of embracing islam) एक इस्लाम में धर्मांतरण का सर्टिफिकेट होता है, जिसे अक्सर शाहदा सर्टिफिकेट भी कहा जाता है. इस सर्टिफिकेट से पता चलता है कि उस व्यक्ति ने इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लिया है. ये एक ऑफिशियल डिक्लेरेशन है, जिसे आमतौर पर किसी मस्जिद में मौलवी और गवाहों के सामने में पढ़ा जाता है. इसी के बाद इस्लाम में धर्मांतरण की आधिकारिक तौर पर मान्यता मिलती है. शाहदा सर्टिफिकेट यूएई में इस्लाम में धर्मांतरण का एक आधिकारिक दस्तावेज है. साथ ही इसे यूएई में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है.

सर्टिफिकेट ऑफ इंबेरिस इस्लाम (शाहदा) क्यों जरूरी है? 

इस सर्टिफिकेट से ये पता चलता है कि आप एक मुस्लिम हैं. साथ ही यूएई के साथ दूसरे देशों में शादी करते समय इस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है. कुछ दूसरे मामलों (सरकारी या आधिकारिक) में भी ये सर्टिफिकेट लगाए जाते हैं. साथ ही मुस्लिम समुदाय में इस सर्टिफिकेट को हर मामले में स्वीकार किया जाता है. इसके अलावा वसीयत भरते समय शाहदा की जरूरत होती है.

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'कोड गेम' का हुआ पर्दाफाश

इससे पहले धर्मांतरण मामले में फंसे छांगुर बाबा पर पुलिस ने खुलासा किया था कि अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए वो कोड के जरिए अपने गिरोह से बात करता था ताकि अपने कारनामों को अंजाम दे पाए. पुलिस ने पड़ताल करके धर्मांतरण का जाल फैलाने वाले छांगुर बाबा के कोड गेम को डीकोड कर लिया है. यूपी एटीएस की पूछताछ में पता चला है कि इन कोड वर्ड के जरिए वह लड़कियों को फंसाता था और उनका ब्रेन वॉश करके धर्मांतरण कराता था. 

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अवैध कब्जे की बात आई सामने

छांगुर बाबा सिर्फ धर्मांतरण ही नहीं कराता था, बल्कि वो लोगों की जमीनों पर भी अवैध कब्जे करता था. एक विधवा महिला रहबरी खातून रब्बानी पुलिस को जानकारी दी है कि छांगुर बाबा और उसके गिरोह ने ना सिर्फ जबरन जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की बल्कि घर पर ताला भी लगा दिया.  

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