भारत का तीसरा मून मिशन (India Lunar Mission) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Landing) ने चांद के साउथपोल पर उतरकर इतिहास रच दिया. स्पेस एजेंसी ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Soft Landing) ने बुधवार को शाम 6.04 बजे चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की. Chandrayaan-3 मिशन के साथ ही दो शब्द बार-बार सुने और पढ़े जाते रहे हैं-लैंडर और रोवर. चंद्रयान-3 के लैंडर (Chandrayaan-3 Lander) का नाम विक्रम रखा गया है और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया है. बता दें कि चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर का नाम भी यही था. इसमें इस बार कोई बदलाव नहीं किया गया है. आइए जानते हैं कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर का नाम ये क्यों रखा गया?
लैंडर का नाम 'विक्रम क्यों'
चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (Indian Space Programme) का जनक कहा जाता है. 'विक्रम' शब्द का अर्थ साहस और वीरता से जुड़ा है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Lander) के लैंडर और रोवर की मिशन लाइफ एक चंद्र दिवस की है. यह लैंड करने के लिए चंद्रयान-2 के सी-2 ऑर्बिटर की तस्वीरों का इस्तेमाल करने वाला है. लैंडर के लेग्स को चंद्रयान-2 से ज्यादा मजबूत किया गया है.
रोवर को इसलिए दिया गया 'प्रज्ञान' नाम
रोवर की बात करें तो चंद्रयान-3 के रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है, जिसका मतलब है- 'बुद्धिमता' (wisdom). रोवर को यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि रोवर को अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके चांद की सतह पर कई चीजों की जानकारी इकट्ठा करनी है.
बता दें कि चंद्रयान-2 मिशन के फेल होने के बाद लैंडर विक्रम खो गया था. जबकि रोवर अभी भी काम कर रहा है. इसलिए चंद्रयान-3 मिशन के लिए इसरो ने रोवर नहीं बनाया और चंद्रयान-2 के रोवर का ही इस्तेमाल किया जाएगा. लैंडर 'विक्रम' का रोवर 'प्रज्ञान' से कम्युनिकेशन भी करा दिया गया है.
चंद्रयान-3 की खासियत:-
कंपोनेंट्स-प्रोपल्सन मॉड्यूल, लैंडर, रोवर
ऑर्बिटर का वजन- 2145 किलो
लैंडर का वजन- 1749.86 किलो (रोवर के साथ)
रोवर- 26 किलो
कुल वजन- 3900 किलो
प्रोपल्सन मॉड्यूल की लाइफ- 3 से 6 महीने
लैंडर, रोवर की लाइफ- एक चंद्र दिवस
लैंडिंग साइट-69.36 डिग्री साउथ और 32.34 डिग्री ईस्ट (चंद्रयान-2 की साइट से थोड़ी दूर)
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