- उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर में बादल फटने से भारी तबाही हुई और कई परिवारों के घर उजड़ गए थे.
- मलबे में दबे कुंवर सिंह को 16 घंटे बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया लेकिन उनका परिवार तबाह हो चुका था.
- कुंवर सिंह की पत्नी कांता देवी और उनके जुड़वा बेटे विशाल और विकास की लाशें मां की छाती से चिपकी मिलीं.
चारों तरफ तबाही के मंजर, उजड़े हुए घर के सामानों को हटाते रेस्क्यू में लगे जवान और स्थानीय लोग. मलबे को हटाते-हटाते रेस्क्यू में लगे लोगों की नजर एक ऐसी चीज पर ठिठकी, जिसे देखकर वहां मौजूद हर किसी की रूह कांप गई. सामने एक ही जगह पर तीन लोगों की लाश थी. एक महिला और दो छोटे बच्चे. महिला इन बच्चों की मां थी. दोनों बच्चों की लाश मृत महिला की छाती से चिपके थे. इस नजारे को देख कर हर किसी का दिल पसीज गया.
उत्तराखंड के चमोली के नंदानगर की घटना
दिल दहला देने वाली यह घटना उत्तराखंड के चमोली जिले से सामने आई है. जहां बीते दिनों नंदानगर में आई आपदा ने कई घर उजाड़ दिए, लेकिन सबसे दर्दनाक तस्वीर जो सामने आई उसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया. एक मां और उसके दो जुड़वा बच्चों के शव.
मलबे से जिंदा बचे कुंवर सिंह का उजड़ गया सब कुछ
बताया गया कि मलबे में लापता लोगों की तलाश की जा रही थी. तभी तीनों के शव मिले. दोनों जुड़वा बच्चे अपनी मां की छाती से चिपके थे. ये कुंवर सिंह का परिवार था. 16 घंटे तक मलबे में दबे रहने के बाद कुवंर सिंह को तो जिंदा निकाला लिया गया, लेकिन उनका सब कुछ उजड़ चुका था. पत्नी और बच्चों की कहानी जानकर कुंवर सिंह टूट गए.
राहत-बचाव कार्य में लगे जवान.
17 सितंबर की रात नंदानगर में बादल फटने से हुई भारी तबाही
दरअसल चमोली जिले में 17 सितंबर की रात नंदानगर में बादल फटने की घटना कई परिवारों पर काल बनकर बरसी और कई लोगों का आसरा छीन गया. कई लोगों की जिंदगी इस घटना में कुंतरी क्षेत्र में 8 लोग मलबे में लापता हो गए थे. इसके बाद SDRF और NDRF जिला प्रशासन, स्थानीय मलबे में लापता लोगों के सर्च अभियान में युद्ध स्तर पर कार्य करने लगी.
18 सितंबर को कुंवर सिंह मलबे से जिंदा निकाले गए थे
18 सितंबर के दोपहर के बाद इतने बड़े मलबे के देर के नीचे कुंवर सिंह को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जो किसी करिश्मे से कम नहीं था. लेकिन 19 सितंबर को कुंवर सिंह की पत्नी कांता देवी 38 वर्ष और उनके जुड़वे बच्चे विशाल और विकास जब मृत्यु अवस्था में मिले तो उसे मंजर को देखने वाले हर शख्स की रूह कांप गई.
मां और बच्चों की लाश देख पूरा गांव रोने लगा.
मां ने अंत-अंत तक बचाने का किया प्रयास
जब NDRF, SDRF ने मलबे के ढेर से शव को निकाला. उसे दौरान कांता देवी ने अपने दोनों बच्चों विशाल, विकास को बचाने के लिए गले से लगाया हुआ था. तीनों इसी अवस्था में मृत पाए गए, मां ने जाते-जाते अपने बच्चों की जान बचाने का हर सम्भव प्रयास किया होगा.
10 साल के थे दोनों बच्चे, 5वीं में पढ़ते थे
लेकिन वह कुदरत की आफत के सामने अपने बच्चों की जान बचाने में असफल हो गई. इस दृश्य को देखकर रेस्क्यू टीमों के साथ-साथ हर शख्स की आंखें नम हो गई. जानकारी के अनुसार कुंवर सिंह के दो बच्चे थे विकास और विशाल. दोनों ही 10 वर्ष के थे. सरस्वती शिशु मंदिर नंदानगर में पांचवी कक्षा में अध्यनरत थे.
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