केंद्र ने राज्यों से कहा- 'प्रसारण गतिविधियां बंद करें.. प्रसार भारती माध्यम का करें इस्तेमाल'

मंत्रालय ने कहा, 'अगर केंद्र सरकार के मंत्रालय, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार और उनसे संबंधित संस्थाएं पहले से ही अपनी सामग्री प्रसारित कर रही हैं, तो यह सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के माध्यम से किया जाएगा।'

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केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को एडवाइजरी जारी की है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने एक परामर्श जारी कर केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को प्रसारण गतिविधियों के किसी भी प्रसार या वितरण में सीधे प्रवेश नहीं करने की सलाह दी है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक, अपनी सामग्री प्रसारित करने वाले प्रसारकों को प्रसार भारती के माध्यम से सामग्री प्रसारित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा प्रसारकों को 31 दिसंबर, 2023 तक प्रसारण सामग्री वितरित करने वाली संस्थाओं से खुद को निकालने के लिए भी कहा गया है.

इस एडवाइजरी से तमिलनाडु सरकार द्वारा शुरू किए गए शैक्षिक चैनल कालवी टीवी और आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए आईपीटीवी की सेवा प्रभावित होने की आशंका है. ये दोनों चैनल कुछ डीटीएच प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए परामर्श के मुताबिक, केंद्र सरकार और राज्य/केंद्र शासित राज्यों का कोई भी मंत्रालय/विभाग और उनसे संबंधित संस्थाएं भविष्य में प्रसारण गतिविधियों के प्रसारण/वितरण में प्रवेश नहीं करेंगी.

मंत्रालय ने कहा, 'अगर केंद्र सरकार के मंत्रालय, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार और उनसे संबंधित संस्थाएं पहले से ही अपनी सामग्री प्रसारित कर रही हैं, तो यह सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के माध्यम से किया जाएगा।' परामर्श में कहा गया कि शैक्षिक उद्देश्यों के लिए प्रसारण के व्यवसाय में केंद्र और राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन का प्रवेश प्रसार भारती और संबंधित सरकारों के बीच उपयुक्त समझौतों के माध्यम से किया जाना चाहिए.

भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची I (संघ सूची) में प्रविष्टि संख्या 31 में "डाक और तार, टेलीफोन, वायरलेस, प्रसारण और संचार के अन्य समान रूप" शामिल हैं. एडवाइजरी में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार केवल केंद्र सरकार ही ऐसे विषयों पर कानून बना सकती है.

2012 में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI), जो कि प्रसारण नियामक भी है, उसने सुझाव दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारों, उनकी कंपनियों, उपक्रमों, निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त उद्यम और सरकारों द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं को प्रसारण के व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

एडवाइजरी में कहा गया है कि ट्राई की सिफारिशों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विचार किया है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के कुछ मंत्रालयों और विभागों और कुछ राज्य सरकारों के संबंध में मौजूदा परिचालन प्रसारण को पहले ही इस तरह की सामाजिक पहल की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से प्रसार भारती के दायरे में लाया जा चुका है.

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इसमें कहा गया है कि शैक्षिक उद्देश्यों के लिए प्रसारण के व्यवसाय में केंद्र और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन का प्रवेश प्रसार भारती और संबंधित सरकारों के बीच उपयुक्त समझौतों के माध्यम से किया जाना चाहिए.

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