25 दिन में तय करेंगे 6553 किमी की दूरी, CISF खास अंदाज में मनाएगा अपना 56 वां स्थापना दिवस

7 मार्च से 125 सीआईएसएफ साइकिल चालक 6553 किलोमीटर की कठिन यात्रा करेंगे. इनमें 14 साहसी महिला जवान भी होंगी.

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सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्युरिटी फोर्स अपना 56 वां स्थापना दिवस खास अंदाज में मना रही है. पहली बार सीआईएसएफ ग्रेट इंडियन कोस्टल साइक्लोथॉन का आयोजन कर रही है. सुरक्षित तट , समृद्ध भारत के थीम के साथ यह पहल खेल आयोजन से कही बढ़कर है. साइक्लोथॉन को 7 मार्च को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तमिलनाडु के रानीपेट जिले के तक्कोलम में सीआईएसएफ के क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र से वर्चुअली हरी झंडी दिखाएंगे. यह तटीय क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए है.

तटीय क्षेत्रों में तस्करी खाकर ड्रग्स , हथियारों और विस्फोटकों के खतरों के बारे में लोगों को आगाह करना जरुरी है. 7 मार्च से 125 सीआईएसएफ साइकिल चालक 6553 किलोमीटर की कठिन यात्रा करेंगे. इनमें 14 साहसी महिला जवान भी होंगी. 25 दिनों की यह यात्रा पश्चिमी तट पर लखपत, गुजरात और पूर्वी तट पर बक्खाली, पश्चिम बंगाल से शुरु होकर मुख्य भूमि के पूरे तट के पश्चिम में सूरत, मंबई, गोवा, मंगलौर और कोच्चि जैसे शहरों से गुजरेंगे.

वहीं, पूर्व में हल्दिया, कोणार्क, पाराद्वीप, वाइजेक, चेन्नई, पांडिचेरी और अंत में कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद मेमोरियल में अपनी यात्रा समाप्त करेंगे. जिन सीआईएसएफ जवानों का इस अभियान के लिए चयन किया गया है. उनको एक महीने का कठोर प्रशिक्षण दिया गया है. ताकि वो लंबी दूरी तक की सुरक्षित साइकिल यात्रा कुशलतापूर्वक पूरी कर सकें. ये जवान रोजना 95 से 180 किलोमीटर तक साइकिल चलायेंगे. इसके लिये जवानों में आसाधारण शारीरिक क्षमता और मानसिक दृढ़ता की जरुरत होती है.

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सीआईएसएफ का कहना है कि साइक्लोथॉन सिर्फ साइकिल चलाने भर का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि तटीय सुरक्षा व तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों से लड़ने का एक आंदोलन के समान है. इसका एक मकसद स्थानीय मछुआरों को तटीय सुरक्षा के साथ जोड़ना भी है. ताकि तटीय इलाके में सुरक्षा कवच को और भी अभेद्द और मजबूत बनाया जा सके.

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