तृणमूल कांग्रेस के सदस्य रीताब्रता बनर्जी ने मंगलवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बांग्लादेश को तीस्ता नदी का पानी छोड़ने पर कोई भी निर्णय लेने से पहले वह पश्चिम बंगाल सरकार से परामर्श करे, क्योंकि इसका सीधा असर राज्य पर पड़ता है. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए बनर्जी ने कहा कि तीस्ता राज्य की दूसरी सबसे बड़ी नदी है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले कई जिलों से होकर गुजरती है. उन्होंने यह भी बताया कि सिक्किम में कई जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण, ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण पानी का प्रवाह प्रभावित हुआ है.
तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बात पर सख्त आपत्ति जताई थी कि पश्चिम बंगाल सरकार की भागीदारी के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि के बारे में कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए.''
बंगाल के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे: बनर्जी
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच जल बंटवारे पर समझौतों के कारण पश्चिम बंगाल के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों में भारत के पूर्वी हिस्से में नदियों के बहाव में बदलाव होने से पश्चिम बंगाल में पानी की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार में भारत-बांग्लादेश फरक्का संधि को नवीनीकृत करने की प्रक्रिया चल रही है, जो 2026 में समाप्त होने वाली है.
बनर्जी ने कहा कि जहां तक लोगों की आजीविका का सवाल है, इससे उन पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा और फरक्का बैराज पर पानी का बहाव कोलकाता बंदरगाह के लिए नौवहन संबंधी समस्याएं पैदा कर रहा है.
फरक्का बैराज के कारण पश्चिम बंगाल में कटाव : बनर्जी
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को तीन बार पत्र लिखकर कहा है कि फरक्का बैराज के कारण पश्चिम बंगाल में बाढ़ के साथ ही बहुत बड़े पैमाने पर कटाव हुआ है.
तृणमूल सदस्य ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तीस्ता में पानी का प्रवाह कम हो गया है और अनुमान है कि अगर पानी बांग्लादेश के साथ साझा किया जाता है, तो पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में लाखों लोग सिंचाई के पानी की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होंगे.
उन्होंने कहा कि राज्य के उत्तरी हिस्से में रहने वाले लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी नदी के पानी की जरूरत है.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-भूटान नदी आयोग की भी जरूरत है, क्योंकि सीमा पार से आने वाली बाढ़ पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिलों पर विनाशकारी प्रभाव डालती है.
उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बांग्लादेश को तीस्ता का पानी छोड़ने के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से परामर्श किया जाना चाहिए.
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