"वेलफेयर स्कीम्स को फ्री की रेवड़ी कहकर मजाक बनाना बंद करे केंद्र", मनीष सिसोदिया का पलटवार

मनीष सिसोदिया ने कहा कि कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर देश को डराने की कोशिश की कि इससे देश बर्बाद हो जाएगा. आज देश में गवर्नेंस के सीधे- सीधे दो मॉडल दिख रहे हैं.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा आम जनता के लिए चलाई जाने वाली तमाम वेलफेयर स्कीम्स को रेवड़ी बताकर केंद्र सरकार आम जनता का ही मजाक बना रही है. उन्होंने कहा कि कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर देश को डराने की कोशिश की कि इससे देश बर्बाद हो जाएगा. आज देश में गवर्नेंस के सीधे- सीधे दो मॉडल दिख रहे हैं. एक मॉडल है जिसमें सत्ता के लोग अपने दोस्तों की मदद करते हैं, वो दोस्तवाद का मॉडल है. इस मॉडल के तहत अपने अमीर दोस्तों के लाखों करोड़ के टैक्स माफ किए जाते हैं और फिर इसे ही विकास बताया जाता है. दूसरा मॉडल है दिल्ली सरकार का. इसके तहत जनता के टैक्स के पैसे का इस्तेमाल स्कूल, अस्पताल, मुफ्त बिजली के लिए किया जा रहा है, महिलाओं को फ्री बस यात्रा, बुर्जुगों को पेंशन दी जा रही है. 

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि पहले मॉडल में सत्ता में बैठे लोगों ने अपने दोस्तों के 6 लाख करोड़ के टैक्स और 10 लाख करोड़ के लोन माफ कर दिए. जबकि कोई किसान अगर लोन की किश्त नहीं चुका पाता है, तो दोस्तवादी मॉडल में उसकी जमीन, उसका घर कुर्क हो जाता है. ये लोग फ्री सरकारी शिक्षा में यकीन नहीं करते हैं. इनका एक ही मकसद है कि सरकारी स्कूलों की हालत इतनी बदतर कर दो कि गरीब भी अपने बच्चे प्राइवेट स्कूल में भेजने के लिए मजबूर हो जाए. ये तमाम निजी स्कूल भी इनके दोस्तों के ही हैं. अब इन गरीब लोगों के लिए इन निजी स्कूल में एक महीने की फीस नहीं देने पर स्कूल के दरवाजे उन बच्चों के लिए बंद हो जाते हैं.

मनीष सिसोदिया ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान को लेकर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि निर्मला जी आप गूगल करके देख लें, दुनिया के सभी विकसित देश अपने बच्चों के फ्री एजुकेशन में यकीन रखते हैं. आज भी विश्व में 39 देश ऐसे हैं जो अपने बच्चों को मुफ्त में एजुकेशन देते हैं. कनाडा, यूके, ब्राजील जैसे देश अपने लोगों को फ्री हेल्थ की सुविधा भी देते हैं. कई देशों में पीने का पानी भी फ्री में ही मिलता है.

इन देशों की सरकार अपने नागरिकों पर फ्री में इन्वेस्टमेंट में यकीन रखती है, जबकि उसे हमारे यहां फ्री की रेवड़ी बोला जा रहा है. हमारा देश हर इंडेक्स में नीचे है. मैडम फाइनेंस मिनिस्टर BJP की सरकारें देख लें, यूपी में फिजिकल डेफिसिट 81 हजार करोड़ और गुजरात का 36 हजार करोड़ है. जबकि 7 साल से दिल्ली सरकार एजुकेशन, हेल्थ आदि में इन्वेस्टमेंट के बावजूद सरप्लस में चल रही है.

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