भारत में मंजूर हुई डायबिटीज की नई दवा, ब्लड शुगर और वजन दोनों पर असरदार ; जानें इसके बारे में सबकुछ

डीएससीओ से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि यह दवा सिर्फ उन मरीजों के लिए असरदार है, जिन पर पुरानी दवाएं असर नहीं कर रहीं हैं. इसलिए लोगों को सलाह दी गई है कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना यह दवा खुद से न खरीदें और न ही उपयोग करें.

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  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने टाइप-2 डायबिटीज के लिए सेमाग्लूटाइड दवा को भारतीय बाजार में मंजूरी दी है.
  • सेमाग्लूटाइड दवा उन मरीजों के लिए उपयोगी है जिनका ब्लड शुगर खानपान और व्यायाम से नियंत्रित नहीं होता है.
  • यह दवा दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करने के साथ वजन घटाने में भी मददगार साबित हुई है.
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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए डेनमार्क की एक दवा को मंजूरी दे दी. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) नाम की इस दवा को भारतीय बाजार में लाने की अनुमति दी है. इस दवा को ओजेम्पिक (Ozempic) नाम से भी जाना जाता है और बाजार में यह इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होगी. सेमाग्लूटाइड शरीर में इंसुलिन की तरह काम करता है और ग्लूकागन-लाइक- पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट नामक श्रेणी की दवा है.

दवा किन मरीजों के लिए उपयोगी?
यह दवा उन मरीजों के लिए बनाई गई है जिनका ब्लड शुगर सिर्फ खानपान और व्यायाम से नियंत्रित नहीं हो पाता, या जिन्हें पुरानी दवाएं (जैसे मेटफॉर्मिन) असर नहीं कर पा रहीं या वे उन्हें सहन नहीं कर पा रहे हैं.

हार्ट अटैक से वजन घटाने में मददगार
यह दवा दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों के खतरे को भी कम करती है. दुनिया भर में हुए क्लिनिकल ट्रायल से यह भी सिद्ध हुआ है कि यह वजन घटाने में मददगार है. इसलिए इसे मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है.

बिना डॉक्टर के सलाह के दवा ना लें 

जानकारी के अनुसार, भारत में इस समय लगभग 10.10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और करीब 13.6 करोड़ लोग आने वाले समय में इससे प्रभावित हो सकते हैं. सीडीएससीओ से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि यह दवा सिर्फ उन मरीजों के लिए असरदार है जिन पर पुरानी दवाएं असर नहीं कर रहीं हैं. इसलिए लोगों को सलाह दी गई है कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना यह दवा खुद से न खरीदें और न ही उपयोग करें.

दवा की कीमत बड़ी चुनौती 

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में यह दवा बहुत महंगी है. ऐसे में भारत में जहां ज्यादातर मधुमेह मरीज मध्यम और निम्न आय वर्ग से हैं, वहां यह देखना होगा कि यह दवा कितनी किफायती होगी.

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