बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच शुरू करते ही सीबीआई ने दर्ज किए 28 मामले

नदिया जिले में शनिवार को गिरफ्तार किए गए दो लोगों को 10 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया

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कोलकाता:

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर बंगाल के चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच कर रहे 100 से अधिक सीबीआई अधिकारियों ने अब तक 28 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से सात रविवार को दर्ज किए गए हैं. नदिया जिले में शनिवार को गिरफ्तार किए गए दो लोगों को 10 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. अदालत ने सीबीआई को हत्या, बलात्कार और बलात्कार के प्रयास के सबसे जघन्य अपराधों की जांच करने का काम सौंपा है. यह मामले मार्च-अप्रैल में हुए चुनावों में भाजपा के खिलाफ तृणमूल की भारी जीत के बाद दर्ज किए गए थे.

ज्वाइंट डायरेक्टर के नेतृत्व में 20 से अधिक अधिकारियों की सीबीआई की चार टीमों ने रविवार को बर्दवान, बीरभूम, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा और कूचबिहार जिलों में शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों के घरों और गांवों का दौरा किया.

बर्दवान जिले के जमालपुर में मई के मध्य में तृणमूल समर्थित गुंडों द्वारा एक बुजुर्ग महिला की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. सीबीआई की टीम ने घटना के बारे में उसके परिवार और पड़ोसियों से बात की.

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बीरभूम जिले में सीबीआई कारोबारी मनोज जायसवाल की कथित हत्या के मामले को फोकस कर रही है. कूचबिहार जिले के तूफानगंज में टीम कथित हत्याकांड के शिकार शाहिदुल रहमान के गांव में रुकी. टीम दक्षिण 24 परगना में, टीम राजू सामंत के पिता से मिली, जिसकी कथित तौर पर तृणमूल समर्थित गुंडों द्वारा हत्या कर दी गई थी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा हत्या, बलात्कार और हत्या के प्रयास के मामलों की जांच के आदेश देने के ठीक एक सप्ताह बाद सीबीआई ने गुरुवार को बंगाल में कार्रवाई शुरू की. अदालत ने आगजनी, लूट और आपराधिक धमकी जैसे मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया है.

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), जिसे अदालत ने चुनाव के बाद की हिंसा की शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया था, ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 15,000 पीड़ितों से जुड़ीं 1979 शिकायतें मिली थीं.

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राज्य पुलिस ने 1934 शिकायतें सूचीबद्ध कीं और 1168 एफआईआर दर्ज कीं. लेकिन 9,304 आरोपियों में से केवल 1,345, यानी 14 प्रतिशत को ही गिरफ्तार किया गया और रिपोर्ट दाखिल होने के समय 1,036 जमानत पर बाहर थे. यानी जुलाई के मध्य में तीन फीसदी से भी कम नामजद आरोपी जेल में थे.

रिपोर्ट में पुलिस पर तृणमूल समर्थित गुंडों के साथ मिलीभगत, प्राथमिकी दर्ज करने में विफलता, वरिष्ठ रैंकों में उदासीनता का आरोप लगाया गया है. एनएचआरसी ने 24 जून से 10 जुलाई के बीच 311 जगहों का दौरा किया था.

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