अमित शाह ने सीबीआई के "फरारियों के प्रत्यर्पण" सम्मेलन का उद्घाटन किया, कहा- इसके लिए बनाया जाए विशेष सेल

कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन केंद्रीय गृह एवं सहयोग मंत्री अमित शाह ने किया. उन्होंने कहा कि विदेश में छिपे अपराधियों को भारत लाने के लिए सभी एजेंसियों को मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे. शाह ने खास तौर पर सुझाव दिया कि एक विशेष सेल बनाया जाए.

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(फाइल फोटो)
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  • CBI ने विदेश में छिपे अपराधियों के प्रत्यर्पण को प्रभावी बनाने के लिए भारत मंडपम में सम्मेलन आयोजित किया
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विशेष सेल बनाने का सुझाव दिया जो प्रत्यर्पण मामलों का पूर्व मूल्यांकन करेगा
  • इसमें वरिष्ठ अधिकारियों ने फरार अपराधियों की लोकेशन ट्रेसिंग और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आसान बनाने पर चर्चा की
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नई दिल्ली:

देश से भागे अपराधियों को वापस लाने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए सीबीआई ने ‘Extradition of Fugitives – Challenges and Strategies' विषय पर दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की. यह सम्मेलन 16 और 17 अक्टूबर को भारत मंडपम में हुआ.

कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन केंद्रीय गृह एवं सहयोग मंत्री अमित शाह ने किया. उन्होंने कहा कि विदेश में छिपे अपराधियों को भारत लाने के लिए सभी एजेंसियों को मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे. शाह ने खास तौर पर सुझाव दिया कि एक विशेष सेल बनाया जाए, जो सभी प्रत्यर्पण मामलों की जांच कर विदेशी एजेंसियों को भेजने से पहले उनका मूल्यांकन करे.

उन्होंने याद दिलाया कि इसी साल जुलाई में भी उन्होंने सभी एजेंसियों को मिलकर काम करने पर जोर दिया था, ताकि फरार अपराधियों को कानूनी और कूटनीतिक तरीकों से जल्द से जल्द वापस लाया जा सके.

दो दिन चले इस सम्मेलन में 45 केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के करीब 200 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इनमें गृह मंत्रालय (MHA), विदेश मंत्रालय (MEA), प्रवर्तन निदेशालय (ED), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI), मुंबई पुलिस, सीबीडीटी, एनटीआरओ, इंटरपोल और सीबीआई के प्रतिनिधि मौजूद थे.

25 पैनलिस्ट्स ने अलग-अलग सत्रों में फरार अपराधियों की लोकेशन ट्रेसिंग, प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आसान बनाने, वित्तीय ट्रेल की जांच और तकनीक के उपयोग जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे. कॉन्फ्रेंस में खास ध्यान नार्को, आतंकवाद, साइबर क्राइम, संगठित अपराध और आर्थिक अपराधियों पर रहा. Fugitive Economic Offenders Act के तहत विदेशों में मौजूद अपराधियों की संपत्तियों पर कार्रवाई के विकल्पों पर भी चर्चा हुई.

एक सत्र में यह भी बताया गया कि कैसे मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानूनों और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क जैसे EGMONT और ARIN-AP का उपयोग कर अपराधियों की अवैध संपत्तियों और पैसों का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा इंटरपोल की नई Silver Notice व्यवस्था पर भी चर्चा हुई, जो अपराधियों की अवैध संपत्तियों को निशाना बनाती है.

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एनआईए के महानिदेशक सदानंद डेटे ने नए आपराधिक कानूनों और Trial in Absentia (गैरहाजिरी में मुकदमे) के प्रावधानों पर चर्चा की और बताया कि इन्हें फरार अपराधियों पर कैसे लागू किया जा सकता है. सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने सभी एजेंसियों से कहा कि वे अपने डेटा और सूचनाओं को साझा करें ताकि मिलकर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकें.

समापन सत्र की अध्यक्षता गृह सचिव गोविंद मोहन ने की. उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन के सुझाव हमारे भविष्य की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार प्रत्यर्पण प्रक्रिया को और मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठा रही है और जरूरत है कि भारत की ओर से भेजे जाने वाले दस्तावेज अंतरराष्ट्रीय कानूनी जांच में खरे उतरें.

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इस अवसर पर सीबीआई के 35 अधिकारियों को President's Medal for Distinguished Service (PSM) और Medal for Meritorious Service (MSM) से सम्मानित किया गया. कॉन्फ्रेंस का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और मज़बूत करेगा और फरार अपराधियों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाएगा.

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