सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआई) ने धोखाधड़ी करने वाले एक संगठिक साइबर क्राइम नेटवर्क को निशाना बनाकर मल्टी-सिटी ऑपरेशन को सफलतापूर्वक चलाया है, जो वैश्विक स्तर पर पीड़ितों को निशाना बनाकर धोखाधड़ी करने की गतिविधियों में शामिल था. इस ऑपरेशन की वजह से एक अंतरराष्ट्रीय क्राइम नेटवर्क को बाधित करने और ध्वस्त किया गया है.
प्राप्त हुई जानकारी के आधार पर सीबीआई के अंतरराष्ट्रीय डिवीजन ने 24 सितंबर को भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता (बीएनएसएस) के तहत धारा 61 और 31 में मामला दर्ज किया था. जांच शुरू करने के बाद, सीबीआई ने पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद और विशाखापत्तनम में 32 अलग-अलग जगहों पर तेजी से तलाशी ली.
सीबीआई ने अब तक 26 मुख्य आरोपियों (पुणे से 10, हैदराबाद से 05 और विशाखापत्तनम से 11) को गिरफ़्तार किया है, जबकि इन अवैध कॉल सेंटरों में काम करने वाले अन्य लोगों की भूमिका की जांच और पूछताछ जारी है. इन ऑपरेशनों के दौरान महत्वपूर्ण डिजिटल एविडेंस और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है. इस साइबर अपराध नेटवर्क द्वारा आपराधिक गतिविधि और पीड़ितों को धोखा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल फोन, लैपटॉप, वित्तीय जानकारी, फोन रिकॉर्ड और आपत्तिजनक सामग्री सहित 951 आइटम जब्त किए गए हैं. इसके अलावा, 58.45 लाख रुपये नकद, लॉकर की चाबियां और तीन लग्जरी वाहन भी बरामद किए गए हैं.
इस ऑपरेशन में लिप्त साइबर अपराधी कई तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल थे, जिसमें तकनीकी सहायता सेवाओं के रूप में प्रतिरूपण करना और पीड़ितों से संपर्क करना शामिल था. विशेष रूप से यूएसए में इस आड़ में कि पीड़ित के सिस्टम को हैक किया जा सकता है.
पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया गया कि उनकी पहचान चुरा ली गई और उनके बैंक खातों में बड़ी संख्या में अनऑथराइज लेनदेन किए जा रहे हैं. पीड़ितों को यह झूठा विश्वास दिलाया गया कि वे कथित रूप से उनके द्वारा दिए गए संदिग्ध आदेशों के कारण कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी में हैं. फिर साइबर अपराधियों ने पीड़ितों को अपने फाइनेंस की सुरक्षा की आड़ में साइबर अपराधियों द्वारा दिए गए नए बैंक खातों में अपनी बैंक होल्डिंग्स को स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया. कुछ मामलों में, साइबर अपराधियों ने पीड़ितों को अंतरराष्ट्रीय कार्ड या क्रिप्टो मुद्रा के माध्यम से धन हस्तांतरित करने के लिए भी धमकाया था.