सुप्रीम कोर्ट ने 16 साल की नाबालिग लड़की की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार और दिल्ली पुलिस को लड़की और उसके दोस्त को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए. जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने बिहार सरकार को एक हफ्ते में सील बंद कवर में स्टेटस रिपोर्ट सौंपने और लड़की के दोस्त के खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले में कोई गिरफ्तारी न करने का आदेश दिया. अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.
मामले का विवरण
बिहार की रहने वाली 16 साल 6 महीने की नाबालिग लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जबरन बाल विवाह को रद्द करने की मांग की. लड़की का आरोप है कि 9 दिसंबर 2024 को उसके माता-पिता ने 32-33 वर्षीय व्यक्ति से उसकी जबरन शादी करवाई. ससुराल में उसे मारपीट और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. उसका पति, जो एक सिविल कॉन्ट्रैक्टर है, उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था और उसकी पढ़ाई का विरोध करता था. लड़की का कहना है कि वह शिक्षक या वकील बनना चाहती है, लेकिन ससुराल वालों ने उसे मायके लौटने या पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी.
प्रताड़ना और भागने की घटना
शादी के बाद लड़की को बोर्ड परीक्षा के लिए मायके लौटने की अनुमति दी गई थी, जहां उसने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास की. हालांकि, ससुराल वालों ने उसे वापस बुलाने का दबाव बनाया. प्रताड़ना से तंग आकर, 31 मार्च 2025 को उसने घर छोड़ दिया और अपने दोस्त सौरभ कुमार से मदद मांगी. सौरभ ने उसकी सहायता की और दोनों वाराणसी भाग गए. इसके बाद लड़की के परिवार ने सौरभ के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया.
याचिका और मांग
लड़की और सौरभ ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत शादी को शून्य घोषित करने की मांग की. इस याचिका में कहा गया कि लड़की को परिवार और ससुराल वालों से जान का खतरा है. वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है और जबरन शादी से मुक्त होना चाहती है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से पैरेंस पैट्रिया अधिकार क्षेत्र के तहत हस्तक्षेप की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने बिहार और दिल्ली पुलिस को लड़की और सौरभ की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बिहार सरकार से एक हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगने और सौरभ के खिलाफ अपहरण मामले में कोई कठोर कार्रवाई न करने का आदेश दिया. कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की.