तमिलनाडु में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के प्रसारण पर बैन के खिलाफ दायर याचिका मामले पर तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा के सीधे प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के "मौखिक निर्देशों" पर तमिलनाडु सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार, डीजीपी को नोटिस जारी किया था. वहीं अब तमिलनाडु के डीजीपी ने जवाबी हलफनामा दायर कर दिया है.
हलफनामे में कहा गया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मौखिक रूप से प्राण प्रतिष्ठा की किसी भी लाइव स्ट्रीमिंग या भगवान राम के भजन बजाने की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया था, ये बात जो पूरी तरह से निराधार और गलत है. सीएम ने पुलिस विभाग को कोई निर्देश जारी नहीं किए. सरकार ने नहीं, बल्कि हाईकोर्ट ने पुलिस को घटनाओं को नियंत्रित करने का निर्देश दिया था.
हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि आम जनता की निर्बाध आवाजाही में कोई बाधा न हो. हाईकोर्ट ने कहा था कि समारोह ट्रस्ट द्वारा संचालित मंदिर परिसर के भीतर ही आयोजित किए जाने चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा था कि जहां भी पुलिस की राय में वह क्षेत्र संवेदनशील है, वहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध लगाने की छूट पुलिस पर छोड़ दी जाएगी.
हलफनामे में बताया गया है कि कुल 288 आवेदन प्राप्त हुए, 146 अस्वीकृत, 4 को अनुमति और 138 को सत्यापन के लिए लंबित रखा गया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद 288 आवेदन में से 4 को अनुमति, 248 आयोजित , 36 आयोजित नहीं हुए. इसलिए अधिकांश लागू मंदिरों ने लाइव स्ट्रीमिंग की, भजन और विशेष पूजा की थी.
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