केंद्र ने नीट-यूजी (NEET-UG) विवाद पर अपना रुख दोहराया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसका इरादा परीक्षा रद्द करके दोबारा परीक्षा कराने का नहीं है. साथ ही उसने इस बात पर भी जोर दिया है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर कोई अनियमितता नहीं हुई है. इस परीक्षा में 24 लाख छात्र शामिल हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए केंद्र ने कहा कि 2024 की परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से उन लाखों ईमानदार उम्मीदवारों का भविष्य गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया था. केंद्र ने तर्क दिया है कि परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के बिना यह कदम उठाना तर्कसंगत नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
सरकार ने कहा कि सीबीआई को आरोपों की गहन जांच करने के लिए कहा गया है और वह सभी परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
हलफनामे में कहा गया है, "यूनियन ऑफ इंडिया इस बात को पूरी तरह समझता है कि किसी भी परीक्षा में प्रश्नपत्रों की गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता है. यदि किसी आपराधिक तत्व के इशारे पर किसी आपराधिक कृत्य के कारण गोपनीयता भंग हुई है, तो भारत संघ का कहना है कि उक्त व्यक्ति के साथ पूरी कानूनी ताकत के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसे दंडित किया जाए."
केंद्र सरकार का हलफनामा ऐसे समय में आया है जब उसे न केवल NEET-UG परीक्षा में बल्कि UGC-NET में भी अनियमितताओं के कारण विरोध का सामना करना पड़ रहा है. यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी गई थी. उसे NEET-PG और CSIR UGC NET परीक्षाएं भी स्थगित करनी पड़ीं.
गड़बड़ियों के कारण परीक्षाओं का आयोजन करने वाली 2017 में गठित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर बड़े सवाल उठे. छात्रों के साथ-साथ विपक्ष की ओर से भी आलोचना झेलने के बाद सरकार ने NTA के प्रमुख को बदल दिया और अनियमितताओं की जांच CBI को सौंप दी.
केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन छात्रों के साथ-साथ विपक्षी दलों की ओर से अभी भी सवाल पूछे जा रहे हैं.