क्या देश का कोई राज्य खनिज संपदा पर पिछली तारीख से टैक्स वसूल सकते हैं या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद? इस मामले पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा है. 9 जजों की संविधान पीठ ये तय करेगी कि राज्य खनिज संपदा पर पिछली तारीख से टैक्स वसूल सकते हैं या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद. वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र ने इसे पूर्वव्यापी लागू करने का विरोध किया. केंद्र की ओर ये पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जजों की बेंच का फैसला अब देश का कानून है. इंडिया सीमेंट का फैसला अब खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा, हम आग्रह कर रहे हैं कि अनुच्छेद 142 का उपयोग करके राहत दी जानी चाहिए - क्योंकि इसका परिणाम इस देश के हर आम आदमी को भुगतना पड़ेगा. यदि इसे पूर्व से लागू किया जाता है तो ब्याज के बिना एक प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम से 35,000 करोड़ रुपये की मांग बनता है. जबकि उसकी नेटवर्थ 14,000 करोड़ है. केवल मूलधन 35 हजार करोड़ है और ब्याज के साथ 55,000 करोड़ है.
कैसे हल होगा?
भले ही हम इसे धीरे-धीरे करके उपभोक्ताओं पर डालें, फिर भी उन्हें इसका भार महसूस होगा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते सुनाए गए एक ऐतिहासिक फैसले में अपने पहले के आदेश को रद्द कर दिया और खनन और खनिज-उपयोग गतिविधियों पर रॉयल्टी लगाने के राज्यों के अधिकारों को बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों के पास खारिज पर कर वसूली का दिया गया फैसला पूर्व से लागू किया जाए या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.