- कलकत्ता HC ने ममता सरकार की आपत्तियों को खारिज करते हुए शुभेंदु अधिकारी को मेमारी में रैली की अनुमति दी.
- अदालत ने सभा को दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक सीमित करते हुए पांच हजार समर्थकों की शर्त रखी है.
- पुलिस और प्रशासन को सभा स्थल तक जाने वाली सड़क पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
कलकत्ता हाई कोर्ट से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने बुधवार को विधानसभा में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी को 21 नवंबर को पूर्वी बर्दवान जिले के मेमारी में एक सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति दे दी. राज्य सरकार की आपत्तियों को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति कृष्णा राव ने इस रैली की अनुमति दी, हालांकि उन्होंने बैठक के लिए कई शर्तें भी लगाई हैं.
ये भी पढ़ें- 9 सवर्ण, 5 दलित... नीतीश के शपथ से पहले जान लीजिए कैबिनेट में किस-किसको मिल सकती है जगह
कोर्ट ने बीजेपी को दी रैली की परमिशन
बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले, बीजेपी ने मेमारी में सभा के लिए पुलिस से परमिशन मांगी थी. हालांकि, पुलिस ने यह कहते हुए उस आवेदन को खारिज कर दिया था कि इस सभा के लिए जरूरी सुरक्षा व्यवस्था फिलहाल उपलब्ध नहीं कराई जा सकती. इसके बाद बीजेपी हाई कोर्ट पहुंची.
शुभेंदु को इन शर्तों के साथ मिली रैली की इजाजत
अदालत ने शुभेंदु को रैली की अनुमति देते हुए कहा है कि सभा पूर्वी बर्दवान जिले के मेमारी इलाके के उदय संघ क्लब मैदान में आयोजित की जा सकती है. लेकिन दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक ही सभा आयोजित करने की परमिशन है. साथ ही, पुलिस और प्रशासन को सभा स्थल तक जाने वाली सड़क पर सुरक्षा व्यवस्था संभालने का भी निर्देश दिया.
अदालत की शर्त ये भी है कि शुभेंदु अधिकारी की सभा में अधिकतम 5,000 समर्थक ही हो सकते हैं. सभा के दौरान अग्निशमन विभाग के पास दमकल की दो गाड़ियां मौजूद होनी चाहिए.
ममता सरकार ने पहले भी जताया था जुलूस पर ऐतराज
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब ममता सरकार ने बीजेपी को जुलूस निकालने की परमिशन नहीं दी. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है. तब भी बीजेपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कुछ दिन पहले, शुभेंदु पूर्वी बर्दवान ज़िले के बरनिलपुर से कर्ज़न गेट तक बीजेपी के जुलूस में शामिल हुए थे. शुरुआत में, बीजेपी 5 नवंबर को जुलूस निकालना चाहती थी. लेकिन राज्य प्रशासन से अनुमति नहीं दी, जिसकी वजह से उनको हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था.
ममता सरकार ने तर्क दिया था कि 5 नवंबर को गुरु नानक जयंती है. उस दिन उस इलाके में बहुत से लोग इकट्ठा होते हैं, इसलिए जुलूस की परमिशन नहीं दी जा सकती. इसके बाद बीजेपी ने जुलूस की तारीख बदलते हुए 9 नवंबर किया और बरनिलपुर से कर्ज़न गेट तक जुलूस निकाला था.













