केंद्रीय कैबिनेट की आज (बुधवार) एक बैठक होने वाली है. मीटिंग में चीनी निर्माताओं को निर्यात सब्सिडी को मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही है. इसके लिए करीब 3600 करोड़ रुपये का प्रावधान हो सकता है. इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाया को चुकाने में मदद मिलेगी. गन्ना किसानों को राहत देने का सरकार का यह कदम ऐसे समय आ रहा है, जब पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग पर आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं.
कैबिनेट 60 लाख टन स्वीटनर के निर्यात के लिए 6 रुपये प्रति किलो इंसेंटिव के हिसाब लगभग 3600 करोड़ रुपये की मंजूरी दे सकती है. ऐसा एक्सपोर्ट इंसेंटिव स्कीम के तहत होगा. इस इंसेंटिव को गन्ना किसानों के बकाया चुकाने से जोड़ा जाएगा. इससे सरकार यह संदेश दे सकेगी कि वह किसानों के हित में फैसला कर रही है.
किसानों ने और कड़ा किया अपना रुख, कहा - सरकार से कृषि कानूनों को वापस कराएंगे : 10 बातें
बताते चलें कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. अपना रुख सख्त करते हुए किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस कराएंगे. उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं. किसानों ने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे.
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सिंघू बॉर्डर पर आयोजित की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा, 'सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे. उन्होंने कहा, 'लड़ाई उस चरण में पहुंच गई है, जहां हम मामले को जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम बातचीत से नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा.'
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