तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल को कैबिनेट ने दी मंजूरी, पीएम गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना मार्च तक बढ़ी

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को भी मार्च तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है. कोरोना काल में गरीबों को हर महीने सस्ते दामों पर अनाज इस योजना के तहत दिया जाता है.

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सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी

नई दिल्‍ली:

केंद्रीय कैबिनेट ने तीनों कृषि कानूनों को वापिस करने वाले बिल को मंज़ूरी दी है. सरकार की ओर से कहा गया कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में उसकी प्राथमिकता होगी. कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को भी मार्च 2022 तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है. कोरोना काल में गरीबों को हर महीने सस्ते दामों पर अनाज इस योजना के तहत दिया जाता है. गौरतलब है कि  प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना नवंबर माह तक थी और कई राज्यों की ओर से  इसे बढ़ाने की मांग की जा रही थी. ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने भी इस मसले पर पीएम मोदी को लेटर लिखा था. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है.

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गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर देश के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws)को वापस लेने का ऐलान करके हर किसी को चौंका दिया था. हालांकि, पीएम की ओर से कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बावजूद किसान फिलहाल अपने आंदोलन को खत्‍म करने के लिए तैयार नहीं हैं.  लखनऊ में हुई किसान महापंचायत में किसानों ने कहा कि खेती के काले क़ानून वापस करना ही काफ़ी नहीं है, जब तक एमएसपी गारंटी क़ानून नहीं बनता और पहले से तैयार किसान विरोधी विधेयक रद्द नहीं किए जाते तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.

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शुक्रवार को गुरु पर्व पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम किसानों को आश्‍वस्‍त करने में सफल नहीं हो पा रहे. किसानों का एक वर्ग ही कानूनों का विरोध कर रहा लेकिन हम उन्‍हें शिक्षित करने और जानकारी देने का प्रयास करते रहे. हमने किसानों को समझाने का पूरा प्रयास किया. हम कानूनों में संशोधन करने, यहां तक कि उन्‍हें सस्‍पेंड करने के लिए तैयार थे . मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया.हम किसानों को समझा नहीं सके. यह किसी पर आरोप लगाने का समय नहीं है. मैं सबसे कहना चाहता हूं कि हमने कृषि कानूनों को वापस ले लिए.  हम कृषि कानूनों को रद्द कर रहे हैं.

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