अब जन्म कुंडली के बजाय 'हेल्थ कुंडली' मिलाकर होगी शादी, सरकार ने इस बीमारी को लेकर बनाई खास रणनीति

Sicke cell anemia: बजट 2023 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हेल्थ सेक्टर के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं. इन तमाम घोषणाओं में से एक '2047 तक एनीमिया उन्मूलन के लक्ष्य ने लोगों को खास ध्यान खींचा है.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

हमारे समाज में शादी से पहले जन्म कुंडली मिलाने का रिवाज होता है. लड़का लड़की की ग्रह दषाएं देखकर सुखद भविष्य की उम्मीद की जाती है. ये देखा जाता है कि लड़का-लड़की के गुण कितने मिलते हैं, कोई दोष तो नहीं. और दोष मिल भी जाता है तो उसके पहले ही उपाए कर लिए जाते हैं. लेकिन भविष्य में सिर्फ जन्मकुंडली मिलाने मात्र से ही शादी हो जाएगी, ऐसा शायद संभव न हो. क्योंकि, सरकार एक नई पहल करने जा रही है. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक ऐसा कार्ड तैयार कर रहा है, जिसके जरिये ही भविष्य में शादी मुमकिन हो पाएगी. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि हमारे देश में एक ऐसी बीमारी है, जिससे अगर पुरुष और महिला संक्रमित हों, तो उसका असर आने वाले बच्चे पर होगा. यानी बच्चा पॉजिटिव होगा. इस बीमारी का नाम है सिकल सेल एनीमिया (Sicke cell anemia). ये बीमारी आदिवासी आबादियों में ज्यादा होती है. अब इस बजट (Union Budget 2023) में इसको 2047 तक खत्म करने लक्ष्य रखा गया है. 

आपने सोचा है कि ऐसा क्या है इस बीमारी को लेकर कि पोलियो और टीबी की बीमारी के बाद सरकार द्वारा इन बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. आइए जानते हैं क्या है सिकल सेल एनीमिया?

क्या है यह बीमारी?
सिकल सेल एनीमिया, असल में खून से जुड़ी एक बीमारी है. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स का साइज बदलने लगता है. ये  रेड ब्लड सेल्स गोलाकर से हंसिए की तरह बन जाते हैं. ब्लड वेसेल्स में ब्लॉकेज पैदा करते हैं. ये एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें शरीर खून बनाना ही बंद कर देता है. इससे शरीर में खून गंभीर रूप से कमी होती है, जिसकी वजह से कई लक्षण नजर आते हैं. 

आदिवासी आबादी में ज्यादातर आते हैं ऐसे केस
सिकल सेल एनीमिया बीमारी खास तौर पर आदिवासियों में होती है. इस बीमारी का असर ऐसा है कि एक उम्र की सीमा पार करने के बाद बच्चे की जीने की संभावना काफी कम रह जाती है. 

7 करोड़ ट्राइबल लोगों का होगा टेस्ट
इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए नया टेस्ट और हेल्थ कार्ड शुरू किया जा रहा है. इसके तहत लड़का और लड़की का हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा, जिससे कि इस तरह की बीमारी का पता लगाया जा सके. अनुमान के मुताबिक 40 से कम उम्र के 7 करोड़ ट्राइबल लोगों का टेस्ट किया जाएगा. डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि इस हेल्थ कार्ड के ज़रिए ही तय होगा कि शादी करनी है या नहीं. अगर लड़का और लड़की पॉजिटिव हैं, तो फिर शादी नहीं कराई जाएगी. 

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टेस्ट का रिपोर्ट जल्द
पहले  सिकल सेल एनीमिया का टेस्ट में समय लगता था, लेकिन अब तत्काल प्रभाव से टेस्ट हो पाएगा. रिजल्ट भी जल्दी आ जाएगा. इससे यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति सिकल सेल बीमारी से पीड़ित है या नहीं. देश के 200 ऐसे जिले हैं, जहां इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अधिक हैं. इसमें मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ से शुरू होगी टेस्ट की स्क्रीनिंग
अभियान की शुरुआत छत्तीसगढ़ से होगी. इसके लिए राज्य सरकार को फंड मुहैया कराया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि शुरुआत में टेस्टिंग के लिए उन राज्यों को चुना गया है, जहां सबसे अधिक ट्राइबल रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए 40℅ फंड राज्य सरकार और 60℅ फंड केंद्र सरकार देगी.

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